Optical Biosensor: इस खास टेक्नोलॉजी से मिनटों में पता चल जाएगा मंकीपॉक्स है या नहीं, जानें कैसे

Optical Biosensor : कांगो डेमोक्रेटिक रिपब्लिक में कहर मचाने के बाद अब मंकीपॉक्स का खतरा पूरी दुनिया पर मंडरा रहा है. भारत और पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी इसके केस रिपोर्ट किए गए हैं.

Optical Biosensor: इस खास टेक्नोलॉजी से मिनटों में पता चल जाएगा मंकीपॉक्स है या नहीं, जानें कैसे

कांगो डेमोक्रेटिक रिपब्लिक में कहर मचाने के बाद अब मंकीपॉक्स का खतरा पूरी दुनिया पर मंडरा रहा है. भारत और पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी इसके केस रिपोर्ट किए गए हैं. 15 अगस्त को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एमपॉक्स को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है.

अब तक दुनियाभर में इसके 20 हजार से ज्यादा केस मिल चुके हैं, जिनमें से करीब 537 लोगों की मौत भी हो चुकी है. एमपॉक्स (Mpox) से बचने के लिए सबसे पहले इसकी पहचान जरूरी है, जिसकी मदद से इस वायरस को मात दिया जा सके. इसके लिए ऑप्टिकल बायोसेंसर (Optical Biosensor) काफी मददगार है. आइए जानते हैं इस टेक्नोलॉजी के बारें में...

मंकीपॉक्स का पता लगाता है ऑप्टिकल बायोसेंसर

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन और बोस्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अब एक ऑप्टिकल बायोसेंसर बनाया है, जो मंकीपॉक्स, एमपॉक्स का कारण बनने वाले वायरस का तेजी से पता लगा सकता है.

14 नवंबर, 2024 को  बायोसेंसर और बायोइलेक्ट्रॉनिक्स में इस स्टडी को पब्लिश किया गया. यूंकि PCR टेस्ट महंगा है, इसके लिए लेबोरेट्री की जरूरत होती है. जिसका रिजल्ट आने में हफ्तेभर का समय लग सकता है. बोस्टन यूनिवर्सिटी लैब ने इबोला रक्तस्रावी बुखार और कोविड-19 के वायरस का पता लगाने के लिए भी ऑप्टिकल बायोसेंसर विकसित किए गए.

ऑप्टिकल बायोसेंसर कैसे काम करता है

शोधकर्ताओं ने एमपॉक्स वाले एक मरीज के घावों के सैंपल को मोनोक्लोनल मंकीपॉक्स एंटीबॉडी के साथ कुछ समय के लिए इनक्यूबेट किया, जो वायरस की सतह पर प्रोटीन से जुड़ते हैं. फिर वायरस-एंटीबॉडी कॉम्प्लेक्स को सेंसर पर सिलिकॉन चिप्स की सतह पर छोटे चैंबर्स में ट्रांसफर किया गया, जिन्हें इन नैनोकणों को ठीक करने के लिए इलाज किया गया था.

चिप्स पर एक साथ और नीली रोशनी डाली गई, जिससे वायरस-एंटीबॉडी नैनोकणों की मौजूदगी में थोड़ी अलग प्रतिक्रिया हुई. इस छोटे संकेत का पता लगाने और हाई सेंसेटिविटी के साथ अलग-अलग कणों की गणना करने के लिए एक कलरफुल कैमरे का इस्तेमाल किया गया. बायोसेंसर परख ने दो मिनट में इन अन्य वायरस से एमपॉक्स सैंपल्स को आसानी से अलग कर दिया.

मंकीपॉक्स के लक्षण

शरीर में लाल चकत्ते पड़ना

बुखार

तेज सिरदर्द

पीठ दर्द

मवाद वाले पिंपल्स

निगलने में दिक्कत होना

कमजोरी

एमपॉक्स से बचने के लिए क्या करें

किसी तरह के लक्षण नजर आने पर डॉक्टर के पास जाएं

संक्रमित को छूने से बचें

वैक्सीन लगवाएं

माउथवॉश का यूज करें

आईड्रॉप का इस्तेमाल करें

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.