प्रधानमंत्री मोदी ने शुरू की 2.2 लाख करोड़ की समुद्री पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में इंडिया मैरीटाइम वीक के दौरान 2.2 लाख करोड़ की परियोजनाएं शुरू कीं, जिससे भारत के समुद्री क्षेत्र को नई ऊंचाई मिलेगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने शुरू की 2.2 लाख करोड़ की समुद्री पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में आयोजित इंडिया मैरीटाइम वीक 2025 के दौरान 2.2 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत का समुद्री क्षेत्र देश की आर्थिक प्रगति का मजबूत स्तंभ बनता जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत के बंदरगाह आज विकसित देशों से भी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं और शिपबिल्डिंग में देश तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है।

भारत के समुद्री इतिहास में बुधवार का दिन एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज हो गया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में आयोजित Maritime Leaders Conclave में देश के समुद्री क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए 2.2 लाख करोड़ रुपये की योजनाओं का शुभारंभ किया। यह आयोजन इंडिया मैरीटाइम वीक 2025 का हिस्सा था, जिसमें 85 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लेकर भारत के साथ अपने सामूहिक संकल्प का परिचय दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत आज शिपबिल्डिंग और पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने बताया कि भारतीय बंदरगाह अब विकासशील देशों में सबसे अधिक कुशल पोर्ट्स में गिने जाते हैं। प्रधानमंत्री ने गर्वपूर्वक कहा कि इस वर्ष भारतीय बंदरगाहों ने अब तक का सबसे अधिक कार्गो संभालने का नया रिकॉर्ड बनाया है।

उन्होंने कहा, “हमारे पोर्ट्स न केवल विकासशील देशों के लिए बल्कि कई मामलों में विकसित देशों के पोर्ट्स से भी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह भारत की दक्षता और क्षमता का प्रमाण है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि इस अवसर पर शिपिंग सेक्टर से संबंधित कई नई परियोजनाओं का शुभारंभ किया गया है और लाखों करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह निवेश भारत को वैश्विक समुद्री शक्ति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

इन परियोजनाओं का उद्देश्य न केवल पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत बनाना है, बल्कि ग्रीन पोर्ट्स, स्मार्ट शिपिंग टेक्नोलॉजी, और कोस्टल इकोनॉमी को भी बढ़ावा देना है। इससे भारत को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अपनी स्थिति और मजबूत करने का अवसर मिलेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी बताया कि भारत की Maritime Human Resource क्षमता तेज़ी से बढ़ी है। उन्होंने कहा, “पिछले दस वर्षों में भारतीय नाविकों की संख्या 1.25 लाख से बढ़कर 3 लाख से अधिक हो गई है। आज भारत दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल है, जिनके पास सबसे अधिक प्रशिक्षित नाविक हैं।”

उन्होंने कहा कि भारतीय युवाओं के लिए समुद्री क्षेत्र रोजगार, कौशल और अवसरों का विशाल केंद्र बन सकता है। सरकार इस दिशा में Maritime Skill Development और Blue Economy से जुड़े कई कार्यक्रम चला रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब दुनिया व्यापारिक अस्थिरता, युद्ध और सप्लाई चेन की चुनौतियों से जूझ रही है, तब भारत एक “Strategic Autonomy, Peace और Inclusive Growth” का प्रतीक बनकर उभर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य न केवल अपने समुद्री क्षेत्र को सशक्त बनाना है बल्कि वैश्विक शिपिंग नेटवर्क में एक भरोसेमंद साझेदार बनना भी है।

उन्होंने कहा कि भारत का तटीय क्षेत्र न केवल अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह ऊर्जा, सुरक्षा और वैश्विक कनेक्टिविटी का केंद्र भी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत Maritime India Vision 2047 के तहत वैश्विक समुद्री शक्ति बनने की दिशा में कार्य कर रहा है। इस दृष्टि का लक्ष्य भारत को एक स्मार्ट, सस्टेनेबल और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन मरीन इकोनॉमी बनाना है।

इस विजन के तहत भारत के सभी प्रमुख बंदरगाहों को अत्याधुनिक तकनीक से लैस किया जाएगा, कार्गो हैंडलिंग क्षमता में वृद्धि की जाएगी और शिपबिल्डिंग उद्योग को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।

Maritime Leaders Conclave में 85 देशों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति इस बात का प्रमाण थी कि भारत आज वैश्विक समुद्री साझेदारी का केंद्र बन रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “यह कार्यक्रम केवल भारत की उपलब्धियों का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह दुनिया को भारत के साथ मिलकर आगे बढ़ने का आमंत्रण भी है।”

उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत का लक्ष्य विश्व के शीर्ष पांच समुद्री देशों में शामिल होना है। इसके लिए सरकार लगातार नवाचार, निवेश और नीतिगत सुधारों पर ध्यान दे रही है।

कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, शांतनु ठाकुर, किरती वर्धन सिंह, महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उपस्थित थे। सभी ने भारत के समुद्री क्षेत्र में हो रहे तेजी से बदलावों की सराहना की।

प्रधानमंत्री मोदी की यह घोषणा भारत की आर्थिक और सामरिक दोनों ही क्षमताओं को सुदृढ़ करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह केवल इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश नहीं, बल्कि भारत की समुद्री आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व की यात्रा की नई शुरुआत है।

भारत का यह समुद्री मिशन न केवल रोजगार और व्यापार के नए अवसर खोलेगा, बल्कि देश को वैश्विक समुद्री परिदृश्य में अग्रणी बनाएगा। प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में —
"यह भारत के समुद्री पुनर्जागरण का समय है, और हम इसे पूरी शक्ति और संकल्प के साथ साकार करेंगे।"