Monsoon Economy: लेट हो चुकी है मानसून वाली ट्रेन, बाजार और अर्थव्यवस्था पर हो सकते हैं ये असर

Delayed Monsoon Arrival: भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि में मानसून की अहम भूमिका रहती आई है. अगर मानसून ठीक रहता है तो फसल की उपज बंपर रहती है, वहीं मानसून के खराब होने से कृषि क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हो जाता है, जिसका नकारात्मक असर अंतत: अर्थव्यवस्था पर और बाजार के ऊपर देखने को मिलता है. ये है मौसम विभाग का अनुमान इस सीजन की बात करें तो कृषि के लिए अहम दक्षिणी पश्चिमी मानसून देर हो चुका है. मौसम विभाग के अनुमान की मानें तो अभी भी उत्तर भारत में मानसून के पहुंचने में एक सप्ताह तक की देरी हो सकती है. हालांकि मौसम विभाग ( India Meteorological Department) का अनुमान है कि इस साल मानसून की बारिश सामान्य रह सकती है, जो राहत की बात है. सिंचाई के लिए मानसून अहम मौसम विभाग ने जून की शुरुआत में चार महीने के मानसून सीजन का पूर्वानुमान जारी किया था. मौसम विभाग की मानें तो जून महीने से सितंबर महीने के इस सीजन में मानसून का लंबी अवधि का औसत 96 से 104 फीसदी रह सकता है, जो मानसून के सामान्य रहने का संकेत है. भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मानसून की बारिश काफी अहम है, क्योंकि देश की आधी से अधिक कृषि योग्य भूमि की सिंचाई इसी पर निर्भर है. इस तरह मानसून का खाने-पीने की चीजों की महंगाई से सीधा संबंध हो जाता है. रिजर्व बैंक को इस बात का डर अभी तक के हिसाब से देखें तो मानसून में देरी हो चुकी है, जिससे खरीफ फसलों की बुवाई में देरी होने लग गई है. अगर अनुमानों से इतर मानसून की बारिश ठीक नहीं हुई, तो ऐसे में खरीफ फसलों की उपज कम रह सकती है. इससे आने वाले दिनों में खाने-पीने की चीजों के भाव बढ़ सकते हैं. ऐसे में अभी जो महंगाई के मोर्चे पर कुछ महीने से लगातार राहत मिल रही है, यह फायदा गायब होने का खतरा रहेगा. रिजर्व बैंक भी इस खतरे की आशंका जाहिर कर चुका है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस महीने हुई एमपीसी की बैठक के बाद कहा था कि आने वाले दिनों में महंगाई के मोर्चे पर अल-नीनो से जोखिम पैदा हो सकते हैं. खराब मानसून का असर मानसून का सीधा संबंध ग्रामीण क्षेत्रों की मांग से भी है. अगर मानसून खराब रहता है तो ग्रामीण क्षेत्रों की मांग में गिरावट आ जाती है. इससे कई सेक्टर खासकर उपभोग आधारित सेक्टर सीधे तौर पर प्रभावित होते हैं. स्वाभाविक है कि मांग खराब होने का अंदेशा उपभोग आधारित क्षेत्रों के शेयरों पर भी नकारात्मक असर डालता है. मतलब साफ है कि मानसून का खराब रहना न देश की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक है, न ही शेयर बाजार के लिए. ये भी पढ़ें: इस सप्ताह कमाई करा सकते हैं ये 33 शेयर, जानें कब तक मिलने वाला है मौका

Monsoon Economy: लेट हो चुकी है मानसून वाली ट्रेन, बाजार और अर्थव्यवस्था पर हो सकते हैं ये असर

Delayed Monsoon Arrival: भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि में मानसून की अहम भूमिका रहती आई है. अगर मानसून ठीक रहता है तो फसल की उपज बंपर रहती है, वहीं मानसून के खराब होने से कृषि क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हो जाता है, जिसका नकारात्मक असर अंतत: अर्थव्यवस्था पर और बाजार के ऊपर देखने को मिलता है.

ये है मौसम विभाग का अनुमान

इस सीजन की बात करें तो कृषि के लिए अहम दक्षिणी पश्चिमी मानसून देर हो चुका है. मौसम विभाग के अनुमान की मानें तो अभी भी उत्तर भारत में मानसून के पहुंचने में एक सप्ताह तक की देरी हो सकती है. हालांकि मौसम विभाग ( India Meteorological Department) का अनुमान है कि इस साल मानसून की बारिश सामान्य रह सकती है, जो राहत की बात है.

सिंचाई के लिए मानसून अहम

मौसम विभाग ने जून की शुरुआत में चार महीने के मानसून सीजन का पूर्वानुमान जारी किया था. मौसम विभाग की मानें तो जून महीने से सितंबर महीने के इस सीजन में मानसून का लंबी अवधि का औसत 96 से 104 फीसदी रह सकता है, जो मानसून के सामान्य रहने का संकेत है. भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मानसून की बारिश काफी अहम है, क्योंकि देश की आधी से अधिक कृषि योग्य भूमि की सिंचाई इसी पर निर्भर है. इस तरह मानसून का खाने-पीने की चीजों की महंगाई से सीधा संबंध हो जाता है.

रिजर्व बैंक को इस बात का डर

अभी तक के हिसाब से देखें तो मानसून में देरी हो चुकी है, जिससे खरीफ फसलों की बुवाई में देरी होने लग गई है. अगर अनुमानों से इतर मानसून की बारिश ठीक नहीं हुई, तो ऐसे में खरीफ फसलों की उपज कम रह सकती है. इससे आने वाले दिनों में खाने-पीने की चीजों के भाव बढ़ सकते हैं. ऐसे में अभी जो महंगाई के मोर्चे पर कुछ महीने से लगातार राहत मिल रही है, यह फायदा गायब होने का खतरा रहेगा. रिजर्व बैंक भी इस खतरे की आशंका जाहिर कर चुका है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस महीने हुई एमपीसी की बैठक के बाद कहा था कि आने वाले दिनों में महंगाई के मोर्चे पर अल-नीनो से जोखिम पैदा हो सकते हैं.

खराब मानसून का असर

मानसून का सीधा संबंध ग्रामीण क्षेत्रों की मांग से भी है. अगर मानसून खराब रहता है तो ग्रामीण क्षेत्रों की मांग में गिरावट आ जाती है. इससे कई सेक्टर खासकर उपभोग आधारित सेक्टर सीधे तौर पर प्रभावित होते हैं. स्वाभाविक है कि मांग खराब होने का अंदेशा उपभोग आधारित क्षेत्रों के शेयरों पर भी नकारात्मक असर डालता है. मतलब साफ है कि मानसून का खराब रहना न देश की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक है, न ही शेयर बाजार के लिए.

ये भी पढ़ें: इस सप्ताह कमाई करा सकते हैं ये 33 शेयर, जानें कब तक मिलने वाला है मौका