Lok Sabha Elections 2024: चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति रद्द करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कहा- आदेश से कानून पर नहीं लगा सकते रोक
Election Commissioner Appointment Case: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले हाल ही में सरकार ने दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की गई थी. इनकी नियुक्ति रद्द करने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की गई और कोर्ट ने आज गुरुवार (21 मार्च) को इसे रद्द करने मना कर दिया. याचिकाकर्ता ने चीफ जस्टिस को भी चयन कमिटी में रखने की मांग की थी. जस्टिस संजीव खन्ना और दीपंकर दत्ता की बेंच ने कहा, “हमारे फैसले में उम्मीद की गई थी कि सरकार चयन पर कानून बनाए. अब संसद से पास कानून के तहत चयन हुआ है. अंतरिम आदेश से कानून पर रोक नहीं लगा सकते. विस्तृत सुनवाई जरूरी है. चुनाव के बीच में आयोग के काम को प्रभावित करना सही नहीं होगा.“ हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने संसद से पास कानून की वैधता पर विस्तृत सुनवाई की बात कही. जवाब के लिए सरकार को 6 सप्ताह का समय दिया. अब इस मामले की अगली सुनवाई अगस्त में होगी. सुनवाई के दौरान जजों ने इस बात पर सवाल उठाया कि चयन कमिटी की मीटिंग को 15 मार्च से बदल कर 14 मार्च कर दिया गया. साथ ही, विपक्ष के नेता को सर्च कमिटी की तरफ से चुने गए नाम बैठक से कुछ देर पहले ही दिए गए. इसके चलते वह उन पर सही तरीके से विचार नहीं कर पाए.

Election Commissioner Appointment Case: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले हाल ही में सरकार ने दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की गई थी. इनकी नियुक्ति रद्द करने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की गई और कोर्ट ने आज गुरुवार (21 मार्च) को इसे रद्द करने मना कर दिया. याचिकाकर्ता ने चीफ जस्टिस को भी चयन कमिटी में रखने की मांग की थी.
जस्टिस संजीव खन्ना और दीपंकर दत्ता की बेंच ने कहा, “हमारे फैसले में उम्मीद की गई थी कि सरकार चयन पर कानून बनाए. अब संसद से पास कानून के तहत चयन हुआ है. अंतरिम आदेश से कानून पर रोक नहीं लगा सकते. विस्तृत सुनवाई जरूरी है. चुनाव के बीच में आयोग के काम को प्रभावित करना सही नहीं होगा.“
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने संसद से पास कानून की वैधता पर विस्तृत सुनवाई की बात कही. जवाब के लिए सरकार को 6 सप्ताह का समय दिया. अब इस मामले की अगली सुनवाई अगस्त में होगी. सुनवाई के दौरान जजों ने इस बात पर सवाल उठाया कि चयन कमिटी की मीटिंग को 15 मार्च से बदल कर 14 मार्च कर दिया गया. साथ ही, विपक्ष के नेता को सर्च कमिटी की तरफ से चुने गए नाम बैठक से कुछ देर पहले ही दिए गए. इसके चलते वह उन पर सही तरीके से विचार नहीं कर पाए.