पीलीभीत के ऐतिहासिक घंटाघर के जीर्णाेद्धार, मरम्मत और सौन्दर्यीकरण पर खर्च होंगे 20 लाख रुपए

पीलीभीत के ऐतिहासिक घंटाघर का 20.35 लाख की लागत से होगा जीर्णाेद्धार, इको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड की पहल से सांस्कृतिक धरोहर को मिलेगा नया स्वरूप और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा।

पीलीभीत के ऐतिहासिक घंटाघर के जीर्णाेद्धार, मरम्मत और सौन्दर्यीकरण पर खर्च होंगे 20 लाख रुपए

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत शहर की ऐतिहासिक धरोहरों में शुमार घंटाघर का जल्द कायाकल्प होने जा रहा है। इसके जीर्णाेद्धार, मरम्मत व रंग-रोगन के लिए 20.35 लाख रुपए स्वीकृत हुए हैं। इको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड ने इस परियोजना को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं।  यह जानकारी उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि ब्रिटिश शासनकाल में बनाए गए इस घंटाघर की गिनती जनपद के पुराने और खास इमारतों में होती है। वर्षों से यह शहर की पहचान बना हुआ है। घंटाघर समय के साथ अपनी पहचान खोता गया, जिसका अब जीर्णाेद्धार किया जा रहा है। ब्रिटिश शासनकाल में बना घंटाघर पीलीभीत की शान हुआ करता था। इसकी गिनती जनपद की चुनिंदा धरोहरों में होती रही है। एक समय था जब यही घंटाघर कभी पूरे शहर को अल सुबह जगाया करता था। छात्र हों या व्यापारी, बुजुर्ग हों या कामगार घंटाघर की आवाज से ही दिन की शुरुआत हुआ करती थी। कुल मिलाकर कहें, तो घंटाघर लंबे वक्त तक शहर के लोगों की दिनचर्या तय करता था।    

इको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड ने इस धरोहर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए जीर्णाेद्धार का निर्णय लिया है। मरम्मत कार्य में दीवारों की मजबूती, प्लास्टर, रंग-रोगन के साथ-साथ घंटाघर की घड़ी को भी दुरुस्त किया जाएगा। ताकि, यह स्मारक पर्यटन की दृष्टि से भी उपयोगी सिद्ध हो सके। उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि पीलीभीत का ऐतिहासिक घंटाघर न केवल इस शहर की धरोहर है बल्कि इसकी सांस्कृतिक पहचान का भी महत्वपूर्ण प्रतीक है। ब्रिटिश काल में निर्मित इस धरोहर की मरम्मत, जीर्णाेद्धार एवं सौंदर्यीकरण का कार्य किया जाएगा, जिससे आने वाली पीढ़ियां भी इसकी ऐतिहासिक गरिमा से परिचित हो सके। राज्य सरकार ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इसी उद्देश्य से इस परियोजना के लिए 20.35 लाख रुपए से अधिक की राशि स्वीकृत की गई है। इस पहल से न केवल पीलीभीत की सांस्कृतिक विरासत संरक्षित होगी, बल्कि यहां पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा जिससे स्थानीय रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।