साइकिल, मोटर से तो टकरा सकती है, हवाई जहाज से नहीं – जानिए, फ़िराक़ गोरखपुरी ने क्यों कहा था

उर्दू अदब का जिक्र हो तो फ़िराक़ गोरखपुरी का नाम आना लाजिमी है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर रघुपति सहाय उर्फ फ़िराक़ गोरखपुरी ने उर्दू साहित्य को अनमोल दौलत दी है. उन्होंने रुमानी शायरी की, तो रुहानी भी. मशहूर शायर निदा फाज़ली तो फ़िराक़ को कबीर और नानक की परंपरा से जोड़ते हैं. फ़िराक़ के बारे में जोश मलीहाबादी ने अपनी किताब ‘यादों की बारात’ में तो यहां तक लिखा है कि वे शायरी की मांग का संदल और उर्दू ज़ुबान की आबरू हैं.

साइकिल, मोटर से तो टकरा सकती है, हवाई जहाज से नहीं – जानिए, फ़िराक़ गोरखपुरी ने क्यों कहा था
उर्दू अदब का जिक्र हो तो फ़िराक़ गोरखपुरी का नाम आना लाजिमी है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर रघुपति सहाय उर्फ फ़िराक़ गोरखपुरी ने उर्दू साहित्य को अनमोल दौलत दी है. उन्होंने रुमानी शायरी की, तो रुहानी भी. मशहूर शायर निदा फाज़ली तो फ़िराक़ को कबीर और नानक की परंपरा से जोड़ते हैं. फ़िराक़ के बारे में जोश मलीहाबादी ने अपनी किताब ‘यादों की बारात’ में तो यहां तक लिखा है कि वे शायरी की मांग का संदल और उर्दू ज़ुबान की आबरू हैं.