Secondary Infertility: एक बच्चा होने के बाद क्या दूसरी में आ रही प्रॉब्लम? कहीं ये सेकेंडरी इनफर्टिलिटी तो नहीं
Secondary Infertility : भारत में बड़ी संख्या में महिलाएं मां नहीं बन पाती हैं. कई फैक्टर्स की वजह से बांझपन की समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. कुछ ऐसे भी मामले सामने आते हैं, जिनमें पहला बच्चा
1. बच्चा पैदा करने में गैप
अमेरिकन सोसाइटी फॉर रिप्रोडक्टिव मेडिसिन के अनुसार, सेकेंडरी इनफर्टिलिटी का एक बड़ा कारण दूसरा बच्चा करने में 5-8 साल का गैप होता है. इसकी वजह से एग्स की क्वॉलिटी खराब हो जाती है और कंसीव नहीं हो पाता है.
2. एज फैक्टर्स
महिलाओं में उम्र बढ़ने के साथ एग्स की क्वॉलिटी और क्वॉन्टिटी में कमी आती है, जिससे कंसीव करने में समस्या हो सकती है. इसकी वजह से महिलाओं को प्रेगनेंसी में कई अन्य दिक्कतें भी आ सकती हैं.
3. पुरुष बांझपन
पुरुषों में शुक्राणु (Sperm) की गुणवत्ता और मात्रा में कमी आने से गर्भधारण में समस्या हो सकती है. इसकी वजह से भी कोई महिला कंसीव नहीं कर पाती है. स्पर्म काउंट कम होने के कई फैक्टर्स हो सकते हैं.
4. हार्मोनल असंतुलन
हार्मोनल असंतुलन, जैसे थायराइड हार्मोन की कमी या अधिकता प्रेगनेंसी में दिक्कतें पैदा कर सकता है. इसलिए महिलाओं को अपनी फिजिकल फिटनेस का ख्याल रखना चाहिए. खानपान और नियमित दिनचर्या सही बनानी चाहिए.
5. पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज
पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज जैसे एंडोमेट्रियोसिस, गर्भाशय में सूजन पैदा कर सकता है, जिसकी वजह से कंसीव करने में दिक्कतें आ सकती हैं. ऐसी कंडीशन में डॉक्टर मिलना चाहिए और सावधानियां बरतनी चाहिए.
6. वजन और डाइट
अनहेल्दी फूड्स और हैवी वेट भी कंसीव करने में परेशानियां खड़ी कर सकता है. बढ़े हुए वजन से कई अन्य गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं. वहीं, अगर खानपान सही नहीं है तो प्रेगनेंसी के बाद भी परेशानियां हो सकती हैं.
सेकेंडरी इनफर्टिलिटी के लक्षण
1. एक साल या उससे अधिक समय तक नियमित तौर पर कोशिश करने के बावजूद भी कंसीव न करना.
2. पीरियड्स में अनियमितता या ज्यादा, कम ब्लीडिंग होना.
3. पुरुषों में शुक्राणु की कमी या शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी.
4. इरेक्टाइल डिसफंक्शन या सेक्सुअल रिलेशनशिप बनाने की इच्छा न होना.
सेकेंडरी इनफर्टिलिटी का उपचार
1. सेकेंडरी इनफर्टिलिटी का इलाज हो सकता है. डॉक्टर कई तरह के टेस्ट करके इसका कारण पता करते हैं और उसी हिसाब से इलाज करते हैं.
2. फर्टिलिटी दवाएं, जैसे क्लोमिफेन साइट्रेट एग्स के प्रोडक्शन में मदद कर सकती है. हालांकि, इसका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह के बाद ही लेना चाहिए.
3. इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) में एग्स और स्पर्म को लैब में मिलाकर कंसीव कराने की कोशिश की जाती है.
4. इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) की मदद से.