Haryana Politics: देश को सोनीपत ने दिए 13 सांसद, आज तक नहीं बना कोई मंत्री; दिग्गज नेता ताऊ देवीलाल भी शामिल
लोकसभा सीट सोनीपत ने दिग्गज नेता ताऊ देवीलाल सहित देश को अब तक 13 सांसद दिए हैं। सोनीपत संसदीय क्षेत्र साल 1977 में अस्तित्व में आ गया था। इस सीट में सोनीपत जिले के साथ जींद के तीन विधानसभा क्षेत्र आते हैं। लेकिन कभी भी देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं दिया है।

सोनीपत संसदीय क्षेत्र साल 1977 में अस्तित्व में आ गया था। इस सीट में सोनीपत जिले के साथ जींद के तीन विधानसभा क्षेत्र आते हैं। लेकिन कभी भी देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं दिया है।
लोकसभा सीट सोनीपत ने दिग्गज नेता ताऊ देवीलाल सहित देश को अब तक 13 सांसद दिए हैं, लेकिन किसी भी सरकार ने सोनीपत के सांसद को मंत्रिमंडल में शामिल कर देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं दिया है। जबकि प्रदेश के सात संसदीय सीटों से कोई न कोई सांसद केंद्र में मंत्री जरूर रहा है।
सोनीपत संसदीय क्षेत्र साल 1977 में अस्तित्व में आ गया था। इस सीट में सोनीपत जिले के साथ जींद के तीन विधानसभा क्षेत्र आते हैं। यहां से जनसंघ के चौ. मुख्तयार सिंह मलिक पहले सांसद बने थे। तब केंद्र में मोरारजी देसाई की अगुवाई में जनता पार्टी की सरकार बनी थी, लेकिन मुख्तयार सिंह मलिक को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली।
वर्ष 1980 में सोनीपत से चौ. देवीलाल सांसद बने, लेकिन केंद्र में इंदिरा गांधी की नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी। इस कारण देवीलाल केंद्र में मंत्री नहीं बन पाए। इस बीच वर्ष 1982 में उपचुनाव हुआ, जिसमें दिग्गज नेता चौ. रिजक राम सांसद चुने गए, लेकिन वह भी मंत्री नहीं बन पाए। वर्ष 1984 में सोनीपत से धर्मपाल सिंह मलिक को कांग्रेस ने टिकट दिया। वह सांसद भी बने, लेकिन केंद्र की कांग्रेस सरकार में मंत्री नहीं बन सके।
साल 1989 में सोनीपत से जनता दल के टिकट पर कपिल देव शास्त्री सांसद चुने गए, लेकिन उन्हें वीपी सिंह और चंद्रशेखर किसी की भी सरकार में मंत्री पद नहीं मिला। वर्ष 1991 में दूसरी बार धर्मपाल सिंह मलिक कांग्रेस टिकट पर सांसद बने, लेकिन उन्हें केवल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से संतोष करना पड़ा। वर्ष 1996 में सोनीपत से निर्दलीय अरविंद शर्मा सांसद चुने गए। वह केंद्र में मंत्री नहीं बन पाए। वर्ष 1998, 1999 और 2004 में सोनीपत से लगातार तीन बार किशन सिंह सांगवान सांसद बने, लेकिन केंद्र में मंत्री पद उन्हें भी नहीं मिला।
इधर, 2009 में कांग्रेस के जितेंद्र मलिक को लोकसभा में प्रवेश तो मिला, लेकिन केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार में उन्हें भी जगह नहीं मिली। साल 2014 और 2019 में सोनीपत से भाजपा के रमेश कौशिक संसद में पहुंचे। केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दोनों बार भाजपा की सरकार बनी, लेकिन रमेश कौशिक भी मंत्री पद तक नहीं पहुंच पाए।
प्रदेश के सात संसदीय क्षेत्र को मिला है प्रतिनिधित्व
प्रदेश के सात संसदीय क्षेत्रों को केंद्र सरकार में प्रतिनिधित्व मिल चुका है। अंबाला की बात करें तो यहां से रतनलाल कटारिया मोदी सरकार में मंत्री बने। सिरसा से कांग्रेस सरकार में पहले चौधरी दलबीर सिंह और बाद में उनकी बेटी कुमारी सैलजा केंद्र में मंत्री बनीं। कुरुक्षेत्र से सांसद रहे गुलजारी लाल नंदा देश के प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे।
रोहतक से सांसद बने प्रोफेसर शेर सिंह केंद्र में मंत्री बने। भिवानी से सांसद बने पूर्व सीएम चौ. बंसीलाल इंदिरा गांधी और राजीव गांधी सरकार में मंत्री बने। फरीदाबाद से सांसद बने कृष्णपाल गुर्जर 10 साल से मोदी सरकार में मंत्री हैं। वहीं गुरुग्राम के मौजूदा सांसद राव इंद्रजीत सिंह भी 10 साल से मोदी सरकार में और उससे पहले मनमोहन सरकार में केंद्र में मंत्री रहे हैं।