भाजपा ने पिछला चुनाव हारे दो पूर्व मंत्रियों पर फिर से विश्वास जताया है। इनमें पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर को रोहतक और कृष्ण कुमार बेदी को नरवाना सीट से उम्मीदवार घोषित किया है। पार्टी ने पुन्हाना विधानसभा सीट से एजाज खान और फिरोजपुर झिरका सीट से नसीम अहमद पर भरोसा जताया है। पार्टी ने सोहाना से विधायक और सैनी सरकार में खेल मंत्री संजय सिंह को इस बार नूंह से उतारा गया है। इन 21 प्रत्याशियों में राई से प्रत्याशी कृष्णा गहलावत (73) सबसे उम्रदराज और जुलाना से उम्मीदवार कैप्टन योगेश बैरागी (35) सबसे युवा प्रत्याशी हैं।
अजराना का टिकट बगावती तेवर दिखाने वाले शर्मा को मिला
भाजपा ने पिहोवा से मौजूदा विधायक व पूर्व मंत्री संदीप सिंह का टिकट काट कमलजीत सिंह अजराना को उम्मीदवार बनाया था। अजराना ने विरोध को देखते हुए मंगलवार को चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया। पार्टी ने उनकी जगह थानेसर से टिकट नहीं मिलने से नाराज चल रहे जय भगवान शर्मा उर्फ डीडी शर्मा को टिकट देकर उन्हें एडजस्ट कर दिया। वहीं, पार्टी ने पिछले साल लाडवा से चुनाव लड़ने वाले डॉ. पवन सैनी को नारायणगढ़ शिफ्ट किया है। लाडवा से सीएम सैनी चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए पवन सैनी का टिकट कट गया था।
ये तीन सीटें बचीं - सिरसा, महेंद्रगढ़ और फरीदाबाद एनआईटी
पार्टी ने पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा की महेंद्रगढ़ सीट को अभी होल्ड पर रखा है। फरीदाबाद एनआईटी से केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर अपने बेटे देवेंद्र चौधरी के लिए टिकट मांग रहे हैं। सिरसा सीट हलोपा प्रमुख और विधायक गोपाल कांडा के चलते अभी तक लंबित है।
विनेश के सामने डेढ़ साल पहले राजनीति में आए कैप्टन
भाजपा ने जुलाना सीट से कांग्रेस उम्मीदवार विनेश फोगाट के सामने युवा चेहरा कैप्टन योगेश बैरागी को मैदान में उतारा है। वह डेढ़ साल पहले ही राजनीति में आए हैं। वे एयर इंडिया में सीनियर कैप्टन के पद पर कार्यरत थे।
पूर्व सांसदों के बेटे-भाई और एक पूर्व विधायक को भी टिकट
भाजपा की दूसरी सूची में भी पार्टी नेताओं के रिश्तेदारों को भी टिकट दिया गया है। भाजपा ने पूर्व सांसद किशन सिंह सांगवान के बेटे प्रदीप सांगवान को बरौदा, पूर्व सांसद रमेश कौशिक के भाई देवेंद्र कौशिक को गन्नौर और पूर्व विधायक राम रतन सिंह हसनपुर के बेटे हरेंद्र सिंह को होडल सीट से उम्मीदवार बनाया है।
प्रदेश अध्यक्ष की सीट से पूर्व मंत्री को उतारा
भाजपा ने प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली की सीट सोनीपत के राई विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मंत्री कृष्णा गहलावत को उम्मीदवार बनाया है। वे बंसीलाल सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। 2014 में भाजपा से चुनाव लड़ा, मगर हार का सामना करना पड़ा। वह इंडिया बुल्स के मालिक समीर गहलावत की मां और पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा की सास हैं। मोहन लाल बड़ौली ने कुछ दिन पहले ही चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया था।
इन्हें मिला झटका
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के करीबी मीनू बेनीवाल एलनाबाद से टिकट मांग रहे थे। मगर पार्टी ने यहां से अमीर चंद मेहता को उम्मीदवार बनाया है। भारतीय कुश्ती संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवेंद्र कादियान गन्नौर से टिकट मांग थे, मगर पार्टी ने यहां से देवेंद्र कौशिक को टिकट दिया है। असंध से जिले राम शर्मा टिकट मांग रहे थे, मगर पार्टी ने योगेंद्र राणा को टिकट थमाया है। नूंह से पिछला चुनाव लड़े जाकिर हुसैन इस बार भी टिकट मांग रहे थे, मगर पार्टी ने नूंह से संजय सिंह को उम्मीदवार घोषित किया है। नारनौल से टिकट मांग रहीं भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष व पूर्व डिप्टी स्पीकर संतोष यादव को भी निराश होना पड़ा है। पार्टी ने नारनौल से विधायक ओमप्रकाश यादव पर विश्वास जताया है।
11 नए चेहरे उतारे
पूंडरी से सतपाल जांबा, असंध से योगेंद्र राणा, गन्नौर से देवेंद्र कौशिक, बरौदा से प्रदीप सांगवान, जुलाना से योगेश बैरागी, डबवाली से बलदेव सिंह मांगेआना, बावल से डॉ. कृष्ण कुमार, पुन्हाना से एजाज खान, हथीन से मनोज रावत, होडल से हरेंद्र सिंह रामरतन, बड़खल धनेश धनअदलखा।
18 सीटों पर उम्मीदवार बदले
नारायणगढ़, पिहोवा, राई, बड़खल, जुलाना, पूंडरी, असंध, डबवाली, बावल, होडल, गन्नौर, बरौदा, पुन्हाना, नरवाना, एलनाबाद, पटौदी, नूंह, हथीन।
बिमला चाैधरी (पटाैदी)
57 वर्षीय, 10 वीं पास
राजनीतिक सफर: पटौदी विधानसभा सीट से 2014 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता था। 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें पटौदी विधानसभा से टिकट नहीं मिला। उसके बावजूद भाजपा में सक्रिय रहीं।
टिकट मिलने का कारण: पटौदी विधानसभा क्षेत्र केंद्रीय मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह का गढ़ माना जाता है। चौधरी केंद्रीय मंत्री की खास समर्थक हैं।
कैप्टन योगेश बैरागी (जुलाना)
35 वर्षीय, स्नातक
राजनीतिक सफर : डेढ़ साल पहले एयर इंडिया में सीनियर कैप्टन की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए और उसी समय भाजपा में शामिल हो गए। वर्तमान में भाजपा युवा मोर्चा हरियाणा के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं।
टिकट मिलने का कारण : कैप्टन होने के कारण भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में पकड़ मजबूत। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल तथा वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सैनी के नजदीकी हैं।
मनीष ग्रोवर (रोहतक शहर)
70 वर्षीय,12वीं
राजनीतिक सफर: 1987 व 1992 में नगर पालिका पार्षद बने। तीन बार हार के बाद 2014 में कांग्रेस के भारत भूषण बतरा को हराकर न केवल विधायक बने, बल्कि सहकारिता राज्य मंत्री रहे। 2019 में बतरा से हार गए।
टिकट मिलने का कारण : पंजाबी बहुल सीट पर रोहतक शहर में भाजपा के कद्दावर नेता व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के करीबी।
ओमप्रकाश यादव (नारनौल)
66 वर्षीय, बीएससी एग्रीकल्चर
राजनीतिक सफर: 2009 में स्वेच्छा से कृषि विभाग में एडीओ के पद से सेवानिवृत्ति ली। 2014 में पहली बार चुनाव लड़ा और जीत दर्ज कर विधानसभा में पहुंचे। 2019 में दूसरी बार चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे और मनोहर सरकार में मंत्री बने।
टिकट मिलने का कारण: पुराना सियासी अनुभव और लोगों के बीच अच्छी पकड़। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की मजबूत पैरवी।
कृष्ण कुमार बेदी (नरवाना)
57 वर्षीय, एमएससी भूगोल
राजनीतिक सफर : पिछले 20 सालों से भाजपा से जुड़े हैं। 2014 में कुरुक्षेत्र के शाहाबाद विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर विधायक बने। मनोहरलाल सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री भी रहे। 2019 के चुनाव में हार गए थे। मनोहरलाल के राजनीतिक सचिव भी रह चुके हैं।
टिकट मिलने का कारण : पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल के खास हैं। भाजपा संगठन में भी महत्वपूर्ण स्थान निभाते हैं। पिछले काफी समय से क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं।
ऐजाज अहमद (पुन्हाना)
राजनीतिक सफर: पूर्व राज्य गृहमंत्री मरहूम चौधरी सरदार खां के बेटे हैं। कांग्रेस ने पिछली बार टिकट दिया, लेकिन बाद में उसे बदलकर चौधरी मोहम्मद इलियास को दे दिया गया। कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया।
टिकट मिलने का कारण: चौधरी मोहम्मद इलियास के परिवार से संबंध, पांच साल से भाजपा के लिए काम कर रहे हैं।
भाजपा
नसीम अहम (फिरोजपुर झिरका )
राजनीतिक सफर: पूर्व मंत्री शकरुल्लाह खान के पुत्र। वर्ष 2009 और 2014 में इनेलो के टिकट पर विधायक रहे । गत 2019 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और हार गए।
टिकट मिलने का कारण: दो बार विधायक रह चुके हैं। क्षेत्र में अच्छी पैठ है।
अमीर चंद मेहता (ऐलनाबाद)
64 वर्षीय
राजनीतिक सफर: 2017 से 2021 तक मार्केट कमेटी के चेयरमैन रहे हैं। 2013 से 2018 भाजपा के जिला अध्यक्ष रहे हैं। 2009 में ऐलनाबाद से विधानसभा चुनाव लड़ा था। मौजूदा समय में भाजपा की राष्ट्रीय व प्रदेश कार्यकारिणी में सदस्य हैं।
टिकट मिलने का कारण: वर्ष 1985 से भाजपा से जुड़े रहे हैं। उस समय भाजपा का जनाधार नहीं था, उस समय से भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं। ऐसे में उनकी दावेदारी मजबूत रही।
हरेंद्र रामरतन (होडल)
55 वर्षीय
राजनीतिक सफर: पिता राम रतन वर्ष 1991 से 1996 तक कांग्रेस के हसनपुर से विधायक रहे हैं। जबकि हरेंद्र रामरतन स्वयं केंद्रीय मंत्री तथा वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री मीरा कुमार के ओएसडी भी रहे हैं। उनका परिवार शुरू से कांग्रेस में रहा है। 2014 में उनके पिता भाजपा में शामिल हो गए थे तथा वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन इनेलो-बसपा प्रत्याशी तथा वर्तमान में भाजपा विधायक जगदीश नायर से चुनाव हार गए थे। तब से हरेंद्र रामरतन का परिवार भाजपा में है।
टिकट मिलने का कारण: केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर का होडल विधानसभा क्षेत्र में बतौर प्रतिनिधि वे पूरा कामकाज भी देख रहे थे। गुर्जर के आशीर्वाद से टिकट मिला है।
मनोज रावत (हथीन)
36 वर्षीय, स्नातक
राजनीतिक सफर: मनोज रावत ने हाल ही में दिल्ली पुलिस की सेवा से सेवानिवृत्ति ली है। जिला परिषद चेयरपर्सन आरती रावत के पति हैं। नांगल जाट निवासी मनोज रावत के रावत पाल से सम्बंध हैं।
टिकट मिलने का कारण: मनोज रावत केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर के खास माने जाते हैं। क्षेत्र में भी परिवार की अच्छी पैठ है।
कुंवर संजय सिंह (नूंह)
राजनीतिक सफर: पिता 1996 में तावडू विधानसभा से विधायक और मंत्री बने। खुद सोहना से विधायक और राज्य खेल मंत्री हैं।
टिकट मिलने का कारण: राजपूत चेहरा हैं। नूंह विधानसभा से दो बार पहले भी भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं।
जयभगवान शर्मा डीडी (पिहोवा)
62 वर्षीय, बीए
राजनीतिक सफर: गांव के सरपंच रहे हैं। वर्ष 2014 में पिहोवा से भाजपा के टिकट पर ही चुनाव लड़ चुके। वर्ष 2019 में जजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा।
टिकट मिलने का कारण: थानेसर में लंबे समय से सक्रिय रहे हैं। वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सैनी व पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ नजदीकी।
स. बलदेव सिंह मांगेआना (डबवाली)
50 वर्षीय, ग्रेजुएट
राजनीतिक सफर: अपने पैतृक निवास राजस्थान से पार्षद रह चुके हैं। भाजपा से लगातार जुड़े रहे हैं। डबवाली से 2014 की भाजपा सरकार में मार्केट कमेटी के चैयरमैन भी रह चुके हैं।
टिकट मिलने का कारण: यह जट्ट सिख जाती से संबंधित हैं। भाजपा पार्टी के लिए डबवाली क्षेत्र में लगातार काम कर रहे थे।
सतपाल जांबा (पूंडरी)
45 वर्षीय, स्नातक
राजनीतिक सफर: पिछले करीब एक साल से विधानसभा क्षेत्र में एक्टिव हैं और गांव जांबा सहित क्षेत्र में लगातार समाजसेवा के कार्यों में शामिल रहे।
टिकट मिलने का कारण: क्षेत्र में चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाली रोड बिरादरी से बड़ा चेहरा हैं। मुख्यमंत्री नायब सैनी से नजदीकियां।
देवेंद्र कौशिक (गन्नौर)
55 वर्षीय, स्नातक
राजनीतिक सफर: गांव समसपुर गामड़ा निवासी देवेंद्र कौशिक अपने बड़े भाई रमेश कौशिक के सांसद रहते हुए राजनीति में सक्रिय हुए थे। रमेश कौशिक सोनीपत से दो बार सांसद, बंसीलाल सरकार में कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रह चुके हैं।
टिकट मिलने का कारण : ब्राह्मण चेहरा हैं और गन्नौर विधानसभा सीट पर परिवार का वर्चस्व रहा है।
प्रदीप सांगवान (बरोदा)
48 वर्षीय, पोस्ट ग्रेजुएट
राजनीतिक सफर: प्रदीप सांगवान वर्ष 2008 के उपचुनाव में जगबीर मलिक से हार गए थे। 2020 के उपचुनाव में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए थे। पिता किशन सिंह सांगवान सोनीपत से तीन बार सांसद रहे हैं।
टिकट मिलने का कारण: बरोदा हलका जाट समाज बहुल है। क्षेत्र के लोगों के साथ धरातल स्तर पर जुड़ाव है।
योगेंद्र राणा (असंध)
60 वर्षीय, स्नातक
राजनीतिक सफर : राजनीति विरासत में मिली है। पीढ़ी दर पीढ़ी राजनीतिक पृष्ठभूमि रही है। हमेशा पार्टी में सक्रिय रहते हैं, मौजूदा समय में दूसरी बार भाजपा जिलाध्यक्ष हैं।
टिकट मिलने का कारण : लगातार सांगठनिक गतिविधियों में सक्रिय रहकर बतौर जिलाध्यक्ष के तौर पर संगठन को संभाल रहे। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल से निकटता।
कृष्णा गहलावत (राई)
73 वर्षीय, स्नातकोत्तर
राजनीतिक सफर: वर्ष 2014 में भी राई से भाजपा की प्रत्याशी रही हैं, लेकिन उस चुनाव में वह कांग्रेस के जयतीर्थ दहिया से हार गईं थी। 1996 में हविपा के टिकट पर रोहट से विधायक बनी थीं और बंसीलाल सरकार में मंत्री भी रही हैं। वर्ष 2005 में रोहट से फिर से चुनाव लड़ा, लेकिन इस चुनाव में वे तीसरे स्थान पर रहीं थीं। भाजपा सरकार के पहले कार्यकाल में कृष्ण गहलावत विपणन बोर्ड की चेयरपर्सन भी रहीं हैं। अब भाजपा ने कृष्णा गहलावत को एक बार फिर से राई से टिकट देकर मैदान में उतारा है।
टिकट मिलने का कारण : पहले मंत्री रह चुकी हैं और क्षेत्र की जनता से लंबे समय से जुड़ाव रहा है।
धनेश अदलखा (बड़खल)
49 वर्षीय, स्नातक फार्मा
राजनीतिक सफर: 2007 में भाजपा से जुड़े। फरीदाबाद नगर निगम पार्षद का दो बार चुनाव जीत चुके हैं। हरियाणा राज्य कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के अध्यक्ष और हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष भी रहे हैं।
टिकट मिलने का कारण: बड़खल विधानसभा क्षेत्र में पंजाबी मतदाता अधिक हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर से नजदीकियां।
पवन सैनी (नारायणगढ़)
53 वर्षीय, बीएएमएस
राजनीतिक सफर: वर्ष 1982 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीति की शुरुआत की। भाजपा में जिला महासचिव सहित अन्य प्रमुख पदों का दायित्व निभाया। वर्ष 2014 में लाडवा से विधायक बने। वर्ष 2019 का विधानसभा चुनाव हार गए थे।
टिकट मिलने का कारण: लंबे समय से पार्टी के लिए कार्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के करीबी हैं।