भारत के लिए नया खतरा : पाकिस्तान बनेगा क्रिप्टो देश

पाकिस्तान द्वारा क्रिप्टो राष्ट्र बनने की कोशिश भारत के लिए डिजिटल आतंकवाद का नया खतरा बन सकती है। जानिए अमेरिका के साथ हुए समझौतों, PCC की भूमिका और भारत की सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में विस्तार से।

भारत के लिए नया खतरा : पाकिस्तान बनेगा क्रिप्टो देश

अमेरिका के साथ समझौता

पाकिस्तान अब डिजिटल वित्त की दुनिया में बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर चुका है। हाल के दिनों में अमेरिका की कंपनियों और नीतिगत सलाहकारों के साथ हुई अहम बैठकों और समझौतों से साफ हो गया है कि पाकिस्तान खुद को "क्रिप्टो देश" के रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह पहल न सिर्फ तकनीकी विकास को रफ्तार देगी, बल्कि आर्थिक क्षेत्र में भी पाकिस्तान को वैश्विक पटल पर लाएगी।

वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल के साथ ऐतिहासिक समझौता

पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने हाल ही में अमेरिका स्थित क्रिप्टो कंपनी World Liberty Financial (WLF) के साथ एक लेटर ऑफ इंटेंट (LOI) पर हस्ताक्षर किए हैं। WLF में अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के परिवार की 60% हिस्सेदारी बताई जा रही है। यह समझौता ब्लॉकचेन तकनीक, स्टेबलकॉइन और विकेन्द्रीकृत वित्त (DeFi) को पाकिस्तान में आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

इस कार्यक्रम में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसीम मुनीर की भी मौजूदगी रही, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह करार केवल आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।

पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल (PCC) का गठन

इस दिशा में एक और बड़ा कदम रहा पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल (Pakistan Crypto Council - PCC) का गठन, जिसे सरकार का समर्थन प्राप्त है। PCC का उद्देश्य देश में क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन से जुड़े नियम-कायदे तय करना और निवेश को आकर्षित करना है।

PCC के अध्यक्ष हैं वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगज़ेब, और इसके सीईओ बनाए गए हैं बिलाल बिन साकिब। वहीं दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टो एक्सचेंज Binance के सह-संस्थापक चांगपेंग झाओ को रणनीतिक सलाहकार नियुक्त किया गया है।

अमेरिकी सांसदों के साथ उच्चस्तरीय बैठकें

PCC के सीईओ बिलाल बिन साकिब ने हाल ही में न्यूयॉर्क में अमेरिकी सीनेटर बिल हैगर्टी और रिक स्कॉट से मुलाकात की। इस बैठक में पाकिस्तान में क्रिप्टो कानूनों को वैश्विक मानकों के अनुसार ढालने और डिजिटल वित्त के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने पर चर्चा हुई।

इस बैठक ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सहयोग के ज़रिए खुद को वैश्विक डिजिटल इकोनॉमी में लाना चाहता है।

भारत के लिए आतंकवाद का नया डिजिटल खतरा बन सकता है!

पाकिस्तान एक ओर जहां अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए क्रिप्टोकरेंसी को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है, वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत के लिए एक नए तरह के आतंकवाद की चुनौती लेकर आ सकता है। यदि पाकिस्तान खुद को "क्रिप्टो नेशन" के रूप में स्थापित करता है, तो यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए डिजिटल जिहाद का रूप ले सकता है।

आतंकी संगठनों को मिलेगा क्रिप्टो से गुप्त फंडिंग का जरिया

क्रिप्टोकरेंसी का सबसे खतरनाक पहलू इसकी गोपनीयता और ट्रैकिंग में कठिनाई है। पाकिस्तान पहले से ही लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, और टीटीपी जैसे आतंकी संगठनों को समर्थन देने के आरोपों में घिरा रहा है। अब यदि क्रिप्टो वहां संस्थागत रूप से स्वीकृत हो जाता है, तो भारत के खिलाफ आतंकी फंडिंग को रोकना लगभग असंभव हो जाएगा।

भारत की सुरक्षा एजेंसियां हवाला और नकद फंडिंग पर नजर रखती रही हैं, लेकिन क्रिप्टो के ज़रिए होने वाली फंडिंग में कोई बैंकिंग चैनल शामिल नहीं होता। इससे भारत में आतंकी गतिविधियों की फंडिंग पूरी तरह डिजिटल, गुप्त और बिना पहचान के हो सकती है।

डार्क वेब और साइबर आतंकवाद को मिलेगा बढ़ावा

डार्क वेब पर पहले से ही हथियारों, विस्फोटकों और नकली दस्तावेजों की खरीद-फरोख्त होती रही है। क्रिप्टोकरेंसी इसके लिए प्रमुख माध्यम बन चुकी है। अगर पाकिस्तान क्रिप्टो को कानूनी मान्यता दे देता है, तो डार्क वेब पर पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन और साइबर अपराधी भारत को डिजिटल हमलों से निशाना बना सकते हैं, और उसका भुगतान क्रिप्टो के माध्यम से किया जा सकता है।

कश्मीरी अलगाववादियों और नक्सलियों को भी हो सकता है फायदा

भारत के कश्मीर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पहले से ही बाहरी फंडिंग का प्रभाव देखा गया है। क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से पाकिस्तान इन संगठनों तक पैसे पहुंचा सकता है — बिना पकड़े गए, बिना रिकॉर्ड के। इससे इन गुटों की गतिविधियों को बल मिलेगा और भारत के लिए आंतरिक सुरक्षा का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा।

सुरक्षा एजेंसियों पर बढ़ेगा दबाव

भारत की सुरक्षा एजेंसियों — जैसे RAW, NIA, IB और ED — को अब पारंपरिक आतंकवाद के साथ-साथ डिजिटल आतंकवाद से भी लड़ना होगा। क्रिप्टो ट्रांजैक्शन की मॉनिटरिंग के लिए अत्याधुनिक ब्लॉकचेन एनालिटिक्स टूल्स, अंतर्राष्ट्रीय साइबर सहयोग और प्रशिक्षित तकनीकी विशेषज्ञों की जरूरत होगी।

राजनयिक स्तर पर भी भारत को झेलनी पड़ सकती है चुनौती

अभी तक भारत पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में बनाए रखने में सफल रहा है। लेकिन अगर अमेरिका या अन्य वैश्विक शक्तियां पाकिस्तान की क्रिप्टो नीति का समर्थन करती हैं, तो पाकिस्तान खुद को एक “तकनीकी राष्ट्र” दिखाकर अपने आतंकवाद समर्थक चेहरे को छुपाने की कोशिश कर सकता है। इससे भारत की कूटनीतिक रणनीति पर भी असर पड़ेगा।

अगर पाकिस्तान क्रिप्टो इकोनॉमी की राह पर आगे बढ़ता है, तो यह उसकी आर्थिक मजबूती से ज्यादा आतंकवाद की नई तकनीकी शक्ति बनने की ओर संकेत देता है। भारत के लिए यह किसी भी पारंपरिक खतरे से कहीं अधिक खतरनाक होगा।

भारत को चाहिए कि वह अभी से क्रिप्टो आतंकवाद की संभावना को गंभीरता से लेते हुए, अपने सुरक्षा तंत्र, साइबर निगरानी तंत्र और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक दबाव को मज़बूत करे, ताकि आने वाले समय में किसी भी डिजिटल जिहाद की संभावना को जड़ से खत्म किया जा सके।