राखीगढ़ी महोत्सव: आकर्षण का केंद्र बनेगी करीब 200 साल पुरानी प्राचीन वस्तुएं, दिखेगा संस्कृति का अद्भुत संगम

हड़प्पाकालीन पहचान रखने वाले राखीगढ़ी में तीन दिवसीय प्रथम राखीगढ़ी महोत्सव में पहले दिन उद्घाटन मौके पर विरासत एवं पर्यटन मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा मुख्य अतिथि होंगे।

राखीगढ़ी महोत्सव: आकर्षण का केंद्र बनेगी करीब 200 साल पुरानी प्राचीन वस्तुएं, दिखेगा संस्कृति का अद्भुत संगम

हड़प्पा कालीन पहचान रखने वाले राखीगढ़ी में तीन दिवसीय प्रथम राखीगढ़ी महोत्सव का उद्घाटन मुख्य अतिथि विरासत एवं पर्यटन मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा ने किया। महोत्सव में खेल संस्कृति तथा इतिहास का अद्भुत संगम दिखा। महोत्सव में विभागों की करीब 100 प्रदर्शनी स्टाल लगाई जाएंगी। समारोह स्थल के मुख्य द्वार के निकट हेरिटेज वॉक बनाया गया है। यहां प्राचीन वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है।

ऊंट की सवारी के लिए प्रयोग होने वाली पिलान, शेर, सवा शेर, 50 तथा 25 किलोग्राम वजनी बाट, भारी भरकम डोल, 200 साल पुराने 7 परतों वाले तेल वाले कूपे, लकड़ी गाड़ी के पहिए, तथा विशाल हुक्का, चरखे इत्यादि प्राचीन चीजें आकर्षण का केंद्र बनीं। महोत्सव में बच्चों के मनोरंजन के लिए किड्स जोन बनाया गया है। यहां बच्चों के खेलने के लिए जंपिंग झूला, नैनो कार झूला ,एयरप्लेन झूला, रेल गाड़ी झूला, वाटर रोलर तथा मिकी माउस की व्यवस्था की गई है। यहां खेलों के सामान के साथ ऑपरेटर भी मौजूद रहे।

कुश्ती ,कबड्डी, दौड़ के हुए मुकाबले...
तीनों दिन विभिन्न प्रकार के खेलों का आयोजन हुआ। इसमें रस्साकसी, कुश्ती, कबड्डी, 100 मीटर की दौड़ आयोजन करवाया। नींबू चम्मच रेस, मटका दौड़ सहित अन्य मनोरंजक कार्यक्रम हुआ। विद्यार्थियों व आमजन को पुरातात्विक साइटों का भ्रमण भी करवाया।

पुरानी संस्कृति के भी हुए दर्शन
तीन दिवसीय राखीगढ़ी महोत्सव में कई तरह के आकर्षण के केंद्र रहेंगे।लोक पारम्परिक विषय-वस्तुओं को प्रदर्शित किया। विरासत दि हेरिटेज विलेज के संयोजक डॉ. महा सिंह पूनिया ने बताया कि प्रदर्शनी में कुएं में प्रयोग किए जाने वाले कांटे एवं बिलाई की प्रदर्शनी लगाई है। कुंए से पानी निकालने के लिए प्रयोग किए जाने वाले डोल की प्रदर्शनी की गई। चड़स तथा सिंचाई के लिए प्रयोग की जाने वाली ढेंकली विशेष आकर्षण बनी।

हरियाणवी पगड़ी भी आकर्षण का केंद्र
हरियाणा की पगड़ी का स्टॉल भी युवा पीढ़ी के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा, जिसमें पगड़ी बंधाओ, फोटो खिंचाओ इवेंट का आयोजन किया। हरियाणवी संस्कृति के विविध स्वरूप जिसमें चौपाल, खेती-बाड़ी के प्राचीन औजार, तीन सौ साल पुराने ताले, तेल रखने के लिए प्रयोग किए जाने वाला कूपा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा।