शिक्षक दिवस 2025: पीएम मोदी ने शिक्षकों को दी शुभकामनाएं, डॉ. राधाकृष्णन को किया नमन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षक दिवस 2025 पर देशभर के शिक्षकों को शुभकामनाएं दीं और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि अर्पित की। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सीएम योगी ने भी संदेश साझा किए।

शिक्षक दिवस 2025: पीएम मोदी ने शिक्षकों को दी शुभकामनाएं, डॉ. राधाकृष्णन को किया नमन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार, 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के अवसर पर देश के सभी शिक्षकों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि शिक्षक ही राष्ट्र का उज्ज्वल भविष्य गढ़ने की नींव रखते हैं। पीएम मोदी ने इस दिन भारत के दूसरे राष्ट्रपति और महान दार्शनिक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भी उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा—“सभी मेहनती शिक्षकों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। विद्यार्थियों के मन और जीवन को गढ़ने में उनका समर्पण और करुणा ही मजबूत और उज्ज्वल भविष्य की नींव है। हम डॉ. एस. राधाकृष्णन के जीवन और विचारों को भी याद करते हैं।”

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी इस अवसर पर शिक्षकों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि शिक्षक विद्यार्थियों को उनकी पूरी क्षमता तक पहुंचने में मदद करते हैं। उनका परिश्रम और समर्पण उत्कृष्टता को बढ़ावा देता है, जीवन को रोशन करता है और राष्ट्र निर्माण में योगदान देता है। धर्मेंद्र प्रधान ने प्रसिद्ध सैंड आर्ट कलाकार सुदर्शन पट्टनायक द्वारा बनाई गई डॉ. राधाकृष्णन की विशेष रेत कला भी साझा की।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शिक्षकों को बधाई देते हुए उन्हें “मार्गदर्शक प्रकाश” बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षक नई पीढ़ी को सही दिशा दिखाते हैं, उनमें जीवन के मूल्य स्थापित करते हैं और भविष्य के नेताओं को गढ़ते हैं।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदी में संदेश जारी किया। उन्होंने लिखा कि डॉ. राधाकृष्णन का दर्शन और शिक्षा में योगदान आधुनिक भारत और शिक्षित भारत के निर्माण के लिए प्रेरणास्रोत है।

हर साल शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार दिए जाते हैं। इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष भी गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजेताओं से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का सम्मान भारतीय समाज की शाश्वत परंपरा है। यह केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि उनके जीवनभर के समर्पण और प्रभाव की वास्तविक पहचान है।