राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने UN शांति मिशन देशों से कहा — शांति थोपने नहीं, सहभागिता से स्थापित की जाए

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशनों में योगदान देने वाले देशों के सम्मेलन में कहा कि शांति थोपने के बजाय स्थानीय हितधारकों की सहभागिता से स्थापित की जानी चाहिए।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने UN शांति मिशन देशों से कहा — शांति थोपने नहीं, सहभागिता से स्थापित की जाए

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशनों में योगदान देने वाले देशों के सेना प्रमुखों और उप-प्रमुखों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए वैश्विक शांति के लिए सहयोग और सहभागिता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शांति केवल थोपी नहीं जानी चाहिए, बल्कि इसे स्थानीय हितधारकों और समुदायों की भागीदारी से पोषित किया जाना चाहिए।

शांति थोपने नहीं, सहभागिता से स्थापित की जाए

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा,

“शांति केवल थोपी नहीं जा सकती। इसे सहभागी दृष्टिकोण और स्थानीय हितधारकों के सहयोग से विकसित किया जाना चाहिए। हमें ऐसा वातावरण बनाना होगा, जिसमें शांति जबरदस्ती लागू करने के बजाय सहयोग और आपसी समझ से फले-फूले।”

उन्होंने यह भी कहा कि शांति स्थापना में भागीदारी को सशक्त करने वाला वैश्विक ढांचा तैयार किया जाना चाहिए, जिससे सैन्य योगदान देने वाले देशों की आवाज़ और मज़बूत हो।

भारत — बहुपक्षवाद और UN चार्टर का सच्चा समर्थक

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और वह बहुपक्षवाद तथा संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के पालन में दृढ़ विश्वास रखता है। उन्होंने बताया कि भारत संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशनों में प्रारंभ से ही सक्रिय भागीदार रहा है और उसके शांति रक्षकों ने दुनिया के सबसे कठिन अभियानों में असाधारण साहस और समर्पण दिखाया है।

शांति अभियानों में महिलाओं की भूमिका सराहनीय

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि भारत ने शांति स्थापना अभियानों में लैंगिक समानता और समावेशन की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है।

“महिला शांति रक्षकों ने स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने और विश्वास बहाल करने में अहम योगदान दिया है।”

उन्होंने कहा कि यह प्रयास भारत की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है जिसमें शांति और समानता को एक साथ आगे बढ़ाया जाता है।

सम्मेलन से बढ़ेगा सहयोग और नई सोच

राष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि यह सम्मेलन और इस तरह के अन्य कार्यक्रम नए विचारों, गहन सहयोग और स्थायी मित्रता को बढ़ावा देंगे। उन्होंने कहा,

“हमें ऐसा विश्व बनाना चाहिए जहां हर बच्चा सुरक्षित सोए, हर समुदाय सौहार्द के साथ आगे बढ़े और संघर्ष केवल इतिहास के पन्नों में रह जाए।”

UN शांति मिशन में भारत की अग्रणी भूमिका

राष्ट्रपति मुर्मु ने बताया कि वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षक 71 मिशनों में तैनात हैं। उनका उद्देश्य विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की पीड़ा को कम करना है।
उन्होंने कहा कि इन मिशनों में कार्यरत शांति रक्षकों ने कठिन परिस्थितियों में साहस, अनुशासन और करुणा का अनुकरणीय परिचय दिया है।