मुफ्त दवा उपलब्ध कराने में बिहार नंबर वन, देशभर की रैंकिंग में हासिल किया पहला स्थान
सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त दवा उपलब्ध कराने में बिहार पूरे देश में पहले स्थान पर है। अगस्त 2025 की केंद्र सरकार की रैंकिंग में बिहार को 82.13 अंक मिले हैं।

बिहार ने सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त दवाएं उपलब्ध कराने के मामले में देशभर में पहला स्थान हासिल किया है। यह उपलब्धि बिहार को भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के एवीडीएमएस (AVDMS) केंद्रीय डैशबोर्ड की ओर से जारी मासिक राज्य रैंकिंग में मिली है।
स्वास्थ्य सुविधाओं में लगातार सुधार
राज्य स्वास्थ्य समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसका परिणाम यह है कि आज मरीजों को गंभीर बीमारियों से लेकर सामान्य रोगों तक की दवाएं सरकारी अस्पतालों में आसानी से उपलब्ध हो रही हैं।
राजस्थान और पंजाब को पीछे छोड़ा
पिछले साल अक्टूबर में बिहार ने राजस्थान को पीछे छोड़ते हुए 79.34 अंकों के साथ पहला स्थान हासिल किया था। अगस्त 2025 में जारी औसत स्कोर में बिहार ने अपनी स्थिति और मजबूत कर ली है। इस बार बिहार को 82.13 अंक मिले हैं, जबकि राजस्थान 78.61 अंकों के साथ दूसरे और पंजाब 73.28 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
मेडिकल कॉलेज से लेकर उपकेंद्र तक उपलब्ध हैं दवाएं
बिहार सरकार ने मरीजों की सुविधा के लिए व्यापक दवा आपूर्ति व्यवस्था की है।
-
मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में कुल 611 प्रकार की दवाएं दी जाती हैं।
-
मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के ओपीडी में 356 और आईपीडी में 255 दवाएं उपलब्ध हैं।
-
जिला अस्पतालों के ओपीडी में 287 और आईपीडी में 169 प्रकार की दवाएं दी जाती हैं।
-
अनुमंडलीय अस्पतालों के ओपीडी में 212 और आईपीडी में 101 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं।
-
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रेफरल अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी मरीजों के लिए सैकड़ों प्रकार की दवाएं दी जा रही हैं।
-
यहां तक कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर 151 और स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर 97 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं।
बिहार का दबदबा बरकरार
केंद्र सरकार की रिपोर्ट में लगातार कई महीनों से बिहार शीर्ष पर बना हुआ है। यह उपलब्धि राज्य सरकार के स्वास्थ्य क्षेत्र में किए गए सुधारात्मक कदमों और मुफ्त दवा उपलब्ध कराने की नीति की बड़ी सफलता मानी जा रही है।