अदरक के नए शोध से खुला सेहत का राज
अदरक एक ऐसा मसाला है जो भारतीय रसोई में वर्षों से स्वाद और सुगंध बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होता रहा है, लेकिन इसके लाभ सिर्फ स्वाद तक सीमित नहीं हैं। हाल के वैज्ञानिक शोधों से पता चला है

अदरक एक ऐसा मसाला है जो भारतीय रसोई में वर्षों से स्वाद और सुगंध बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होता रहा है, लेकिन इसके लाभ सिर्फ स्वाद तक सीमित नहीं हैं। हाल के वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि अदरक शरीर में सूजन और दर्द को कम करने में अत्यंत प्रभावी हो सकता है। खासकर ऑटोइम्यून बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए यह एक प्राकृतिक राहत का विकल्प बन सकता है।
एक नए रिसर्च में विशेषज्ञों ने अदरक के उस प्रभाव की जांच की, जो यह 'न्यूट्रोफिल' नामक श्वेत रक्त कोशिकाओं पर डालता है। न्यूट्रोफिल्स शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का एक प्रमुख हिस्सा होती हैं और कई बार ये जरूरत से ज्यादा सक्रिय होकर सूजन और थक्के जैसी समस्याएं उत्पन्न कर देती हैं। यह स्थिति "नेटोसिस" कहलाती है, जिसमें न्यूट्रोफिल्स जाले जैसी संरचना बनाकर शरीर में सूजन को बढ़ाते हैं। इस प्रक्रिया का संबंध ल्यूपस, रुमेटीइड गठिया और एंटीफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम जैसी गंभीर बीमारियों से होता है।
शोध में यह सामने आया कि अदरक का सेवन न्यूट्रोफिल को इस अतिसक्रियता से रोकने में मदद करता है। यह निष्कर्ष जेसीआई इनसाइट नामक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ, जिसमें यह बताया गया कि अदरक के सेवन से शरीर की प्रतिरक्षा कोशिकाएं अधिक संतुलित हो जाती हैं और सूजन को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है। अमेरिका के कोलोराडो स्कूल ऑफ मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. क्रिस्टन डेमोरुएल के अनुसार, अदरक का यह गुण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक पूरी तरह से प्राकृतिक और सुरक्षित उपाय है, जो कई प्रकार की ऑटोइम्यून बीमारियों से राहत देने में मदद कर सकता है।
इस अध्ययन के दौरान स्वस्थ वॉलंटियर्स को सात दिनों तक अदरक से बने सप्लिमेंट्स दिए गए, जिनमें प्रतिदिन 20 मिलीग्राम "जिंजरोल्स" मौजूद थे। परिणामस्वरूप, उनके न्यूट्रोफिल्स में "सीएएमपी" नामक एक रसायन की मात्रा में वृद्धि देखी गई। यह रसायन विभिन्न रोग कारकों के प्रति प्रतिक्रिया के रूप में होने वाली नेटोसिस प्रक्रिया को रोकने में सक्षम था।
मिशिगन विश्वविद्यालय के एमडी और पीएचडी प्रोफेसर डॉ. जेसन नाइट, जो इस अध्ययन के सह-लेखक भी हैं, उन्होंने बताया कि यह रिसर्च पहली बार इस बात का जैविक प्रमाण देता है कि अदरक वास्तव में शरीर में सूजन-रोधी कार्य करता है। उन्होंने यह भी कहा कि अदरक के इन लाभों को जानने के बाद अब स्वास्थ्य सेवा प्रदाता और मरीज आपस में इस बात पर गंभीरता से विचार कर सकते हैं कि क्या अदरक को उनकी उपचार योजना में शामिल किया जाना चाहिए।
शोधकर्ताओं का मानना है कि अदरक एक ऐसा प्राकृतिक पूरक हो सकता है, जो मौजूदा इलाज के साथ मिलकर बेहतर परिणाम दे सकता है। खासकर उन मरीजों के लिए, जिनके लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं या जिन पर पारंपरिक दवाओं का सीमित असर होता है, अदरक एक सशक्त सहायक की भूमिका निभा सकता है।
इस तरह, अदरक केवल रसोई में इस्तेमाल होने वाला एक मसाला नहीं रह गया है, बल्कि यह एक प्रभावी प्राकृतिक चिकित्सा विकल्प के रूप में उभर रहा है। विज्ञान अब उन परंपरागत मान्यताओं को समर्थन दे रहा है, जो वर्षों से आयुर्वेद और घरेलू चिकित्सा पद्धतियों में प्रचलित रही हैं। अदरक के लाभों को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि इसे अपने दैनिक आहार में शामिल करना सेहत के लिए एक सकारात्मक कदम हो सकता है — बशर्ते इसका सेवन संतुलित मात्रा में और विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार किया जाए।
डिस्क्लेमर:
इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य जानकारी और शिक्षात्मक उद्देश्यों के लिए प्रस्तुत की गई है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। अदरक या किसी अन्य प्राकृतिक उपाय को अपनाने से पहले कृपया अपने चिकित्सक या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें। firstpagenews.com इस लेख में प्रस्तुत जानकारी की सटीकता, पूर्णता या उपयोग से प्राप्त किसी भी प्रकार के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष परिणामों के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है। पाठकों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर उठाए गए किसी भी कदम की पूरी ज़िम्मेदारी स्वयं पाठक की होगी।