कश्मीर आतंकी हमले के बाद पीएम मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की अहम मुलाक़ात
कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की दिल्ली में हुई अहम मुलाकात में सुरक्षा हालात और संभावित रणनीति पर चर्चा हुई।

कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले के बाद देश की राजधानी दिल्ली में मंगलवार, 29 अप्रैल 2025 को एक अहम और दुर्लभ मुलाकात देखने को मिली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आधिकारिक आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर मुलाकात की। इस मुलाकात को सुरक्षा दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासकर उस पृष्ठभूमि में जब कश्मीर में हुए हमले में 26 लोगों की जान चली गई।
आरएसएस सूत्रों के अनुसार, यह बैठक लगभग एक घंटे तक चली और इसका मुख्य केंद्र बिंदु जम्मू-कश्मीर की वर्तमान सुरक्षा स्थिति तथा इस हमले के जवाब में भारत की संभावित रणनीति रहा। इस विचार-विमर्श में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे, जो इस बात का संकेत देता है कि सरकार और संघ के शीर्ष नेतृत्व के बीच समन्वय स्थापित करने की गंभीर कोशिश की जा रही है।
इससे पहले मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और थल, जल तथा वायु सेना प्रमुखों के साथ आपात बैठक बुलाई थी। इस उच्च स्तरीय बैठक का उद्देश्य घाटी में हुए अब तक के सबसे भीषण आतंकी हमलों में से एक के बाद रक्षा और सुरक्षा रणनीति को अंतिम रूप देना था।
आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर द हिंदू को बताया कि प्रधानमंत्री और सरसंघचालक की यह मुलाकात पहले से तय थी, लेकिन इसमें पूरी चर्चा कश्मीर के हालात पर केंद्रित रही। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने रक्षा प्रतिष्ठान को पूरी छूट दे दी है कि वह स्थिति के अनुसार उपयुक्त कार्रवाई करे, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित करने पर बल दिया कि सरकार के सभी अंगों के बीच उच्च स्तर पर तालमेल बना रहे।
जब इस मुलाकात को लेकर असामान्य प्रकृति के बारे में पूछा गया, तो संबंधित अधिकारी ने कहा कि कुछ क्षण ऐसे होते हैं जब परंपराओं और प्रोटोकॉल को राष्ट्रीय हितों के लिए पीछे छोड़ना पड़ता है और यह भी वैसा ही एक क्षण था।
यह मुलाकात आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हालिया सार्वजनिक बयानों के बाद भी खास मायने रखती है। बीते सप्ताह दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने पाकिस्तान पर तीखा हमला बोलते हुए कहा था कि यह एक "दुष्ट कृत्य" है और भारत का धर्म यह कहता है कि वह आक्रांताओं के सामने झुकने वाला देश नहीं है। उन्होंने बिना प्रधानमंत्री का नाम लिए यह भी कहा था कि "प्रजा की रक्षा करना राजा का धर्म है, और ऐसे समय में राजा को अपने कर्तव्य के अनुरूप खड़ा होना चाहिए।"
इस पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री और संघ प्रमुख की यह मुलाकात देश के लिए आने वाले दिनों में बड़ी सुरक्षा और राजनीतिक दिशा तय कर सकती है। क्या आपको इस विषय पर कोई विशेष पहलू विस्तार से चाहिए?