उज्जैन के हरसिद्धी मंदिर में घट स्थापना के साथ माघ मास की गुप्त नवरात्रि की शुरूआत हुई
देवी आराधना का पर्व नवरात्र साल में चार बार आता है, जिसमें दो बार प्रत्यक्ष और दो बार गुप्त रूप से देवी आराधना की जाती है। देश में ज्यादातर लोग प्रत्यक्ष यानि चैत्र और शारदीय नवरात्रि को ही मनाते हैं।

देवी आराधना का पर्व नवरात्र साल में चार बार आता है, जिसमें दो बार प्रत्यक्ष और दो बार गुप्त रूप से देवी आराधना की जाती है। देश में ज्यादातर लोग प्रत्यक्ष यानि चैत्र और शारदीय नवरात्रि को ही मनाते हैं। शेष दोनों नवरात्र सिद्धी साधना के लिए साधकों द्वारा की जाती है। चूंकि उज्जैन अपने आप में एक सिद्ध स्थान होने के साथ शक्तिपीठ भी है, इसलिए यहां पूजन का विशेष महत्व माना गया है। गुरूवार से माघ मास की गुप्त नवरात्रि की शुरूआत हुई। इस दौरान हरसिद्धी मंदिर में सुबह घट स्थापना के साथ देवी मां की विशेष आराधना की गई। यहां पर साल की चारों नवरात्र बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है और कई धार्मिक आयोजन होते हैं। इस देवीय स्थान का उल्लेख शास्त्रों और पुराणों में भी मिलता है। यहां भगवान भोलेनाथ महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग स्वरूप में विराजमान हैं, इस वजह से महाकाल की इस पावन नगरी में नवरात्रि के दिनों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और अपने मनोरथ के लिए देवी माता का भी पूजन करते हैं।