गौरवशाली इतिहास से युवा वर्ग को परिचित करवाने का सशक्त माध्यम बना, महानाट्य सम्राट विक्रमादित्य

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के प्रयासों से सम्राट विक्रमादित्य के सम्मान में महानाट्य का आयोजन नई दिल्ली में हुआ। विक्रम संवत, वैदिक घड़ी और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सम्मान के माध्यम से मध्यप्रदेश सरकार ने इस गौरवशाली शासक की विरासत को पुनर्जीवित किया।

गौरवशाली इतिहास से युवा वर्ग को परिचित करवाने का सशक्त माध्यम बना, महानाट्य सम्राट विक्रमादित्य

भारतीय इतिहास में अनेक प्रतापी शासक हुए हैं। ऐसे ही शासक थे सम्राट विक्रमादित्य। उन्होंने न्याय, शौर्य और कालगणना के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य हुआ। सम्राट विक्रमादित्य के सम्मान में इस वर्ष बहुआयामी प्रयास हुए हैं। कुछ वर्ष पहले वार्षिक विक्रमोत्सव प्रारंभ हुआ, फिर विक्रम विश्वविद्यालय का नाम संशोधित किया गया, जो विक्रम विश्वविद्यालय था। यह सम्राट विक्रमादित्य की प्रतिष्ठा के अनुकूल सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय हो गया है। ये सब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के प्रयासों से हुआ है।

मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस पर राजधानी के नागरिक महानाट्य सम्राट विक्रमादित्य देखेंगे। विक्रम संवत प्रारंभ करने वाले कल्याणकारी शासक रहे सम्राट विक्रमादित्य के सम्मान में महत्वपूर्ण कदम मध्यप्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए हैं। मुख्यमंत्री निवास के मुख्य द्वार पर विक्रमादित्य वैदिक घड़ी स्थापित की गई है। वार्षिक विक्रम उत्सव की शुरुआत कर राज्य सरकार ने सम्राट विक्रमादित्य को यथोचित सम्मान देने का कदम उठाया था। शासकीय कैलेंडर में विक्रम संवत का भी उल्लेख प्रारंभ किया गया है। इस क्रम में हाल ही में सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य का नई दिल्ली में अप्रैल- 2025 में मंचन एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस महानाट्य के माध्यम से रंगमंच के महत्व से भी पूरे राष्ट्र को अवगत करवा दिया है। वैसे तो इस डिजिटल युग में सूचना और मनोरंजन के कई फॉर्मेट लोकप्रिय हो चुके हैं, लेकिन भारतीय नाट्यशास्त्र की सुदृढ़ और समृद्ध परंपरा से जन-जन को विशेष रूप से युवा वर्ग को परिचित करवाने के लिए नई दिल्ली में सम्राट विक्रमादित्य नाटक का निरंतर तीन दिन मंचन होना महत्व रखता है। मध्यप्रदेश से जो संदेश पूरे राष्ट्र में पहुंचा है वह यह है कि अभिनय, प्रकाश संयोजन, संगीत, वेशभूषा और विशाल मंच के माध्यम से हमारे पौराणिक चरित्रों का जीवन सामने आना चाहिए। हमारे वे आदर्श शासक और आराध्य जो युवा पीढ़ी द्वारा भुला दिए गए हैं उन्हें युवा पीढ़ी को जानकारी देकर इस गौरवशाली अध्याय से अवगत करवाना सराहनीय है। युवाओं में सृजन की शक्ति है, जिज्ञासा का तत्व भी विद्यमान है तो फिर उन्हें इन राष्ट्र के आदर्श प्रतीकों की जानकारी से वंचित क्यों रखा जाए और बच्चे भी कलाओं के प्रति रुचि रखते हैं, वे भी इस विधा के लिए जिज्ञासु हो सकते हैं। उन्हें महान व्यक्तित्वों के बारे में ज्ञानवर्धक विवरण देने वाले नाटक मंचन से जोड़ा जाए, यह समय की मांग है।

राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान

सम्राट विक्रमादित्य के गुणों के अनुकूल योगदान देने वाले व्यक्ति सम्मानित हों, इस उद्देश्य से जहां पांच-पांच लाख रूपए के तीन राज्य स्तरीय सम्मान देने का प्रावधान किया गया, वहीं 21 लाख रूपए के राष्ट्रीय सम्मान और एक करोड़ एक लाख रूपए सम्मान निधि के अंतर्राष्ट्रीय विक्रमादित्य सम्मान प्रारंभ करने की पहल की गई। निश्चित ही यह सम्मान और पुरस्कार सम्राट विक्रमादित्य के सुशासन, साहस और भारतीय संस्कृति को पोषित करने की परम्पराओं को निरंतर बनाए रखने के लिए प्रेरक बनेंगे।

प्रतापी शासक राजा भोज और अन्य सेनानियों की गाथा भी आएगी मंच पर

भोपाल में कुछ वर्ष पूर्व लाल परेड मैदान पर "जाणता राजा" का हिंदी में मंचन हुआ, जिसमें शिवाजी महाराज के कृतित्व को दर्शाया गया था। हालांकि जाणता राजा नाटक का एकाध मंचन ही हुआ। देश की राजधानी में लाल किले पर तीन दिन लगातार सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य का मंचन मध्यप्रदेश के लिए गर्व की बात है। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का नवाचार है। हमारे ऐसी दानवीर शासक जिन्होंने वीरता और न्याय के क्षेत्र में भी दृष्टांत स्थापित किए, वे पाठ्य-पुस्तकों में तो आ गए लेकिन पाठ्य- पुस्तकों से बाहर मंच तक क्यों न पहुंचें। आखिर युवा पीढ़ी को उनकी विस्तार पूर्वक जानकारी क्यों नहीं दी जाना चाहिए? यह नवाचार अवश्य ही अन्य राज्यों तक जाएगा। सम्राट विक्रमादित्य के कार्यों की जानकारी देश भर के नागरिकों को मिलेगी। यही नहीं भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण, राजा भोज, सम्राट अशोक और स्वतंत्रता सेनानियों सहित भारत के अन्य गौरवशाली महापुरुषों के कृतित्व की गाथा बताने वाली नाट्य प्रस्तुतियां भी होंगी। नई दिल्ली में सम्राट विक्रमादित्य नाट्य मंचन सफल रहा है। हाथी, घोड़ों के उपयोग और बीसियों की संख्या में कलाकार दल के साथ इतिहास के उस दौर को जीवंत करना साधारण कार्य नहीं है। संस्कृति विभाग, विक्रमादित्य पीठ, सामाजिक संगठन और सांस्कृतिक संगठन इसके लिए एकजुट हुए। दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने इन कार्यक्रमों के लिए जो समन्वय किया उसकी भी मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रशंसा की है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी के संकल्प की भी पूर्ति होगी

राज्यों में नाटक सहित लोक कलाओं के विकास के साथ भारतीय गौरव का स्मरण करते हुए देश की प्राचीन संस्कृति, भारतीय अस्मिता को सामने लाना आवश्यक है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सिर्फ कहने के लिए "विरासत से विकास" की बात नहीं कही, वे चाहते हैं इसका दायरा विस्तृत हो। हमारे युवा हेरिटेज वॉक करें। वे किलों और स्मारकों को देखें। शौर्य और मेधा के धनी भारत के शासकों के योगदान से परिचित हों। भारतीय स्वाभिमान के प्रसंग चर्चा का विषय बनें। सिर्फ बंद कमरों में संगोष्ठियां न हों बल्कि भारत के ऐसे गौरवशाली व्यक्तित्व बच्चों के बीच भी जाने जाएं। स्कूली पाठ्यक्रम से लेकर विद्यालयों, महाविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में सगर्व उनका उल्लेख हो और नाट्य मंचन उस थ्योरी को प्रैक्टिकल रूप में रंगमंच पर प्रस्तुत करें। महानाट्य सम्राट विक्रमादित्य का मंचन युवाओं को रंगमंच विधा की ओर आकर्षित करने के लिए प्रेरित करेगा।

रंगमंच कलाकार भी हुए उत्साहित

रंगमंच से जुड़े देश के हजारों कलाकारों का मन हर्षित है और वे मुख्यमंत्री डॉ. यादव के प्रति आभार का भाव रखते हैं जो उन्होंने इस कला को महत्व और राज्याश्रय भी दिया। सैकड़ों कलाकारों को प्रोत्साहित किया। थिएटर की शक्ति सही दिशा में और सही विषय को लेकर दिखाई दी है। इस नाते मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस पर लाल परेड ग्राउंड भोपाल में दो और तीन नवम्बर को होने जा रहा नाटक विक्रमादित्य का मंचन दर्शकों द्वारा निश्चित ही पसंद किया जाएगा।