CG: ग्रामीणों के राशन में कटौती कर कोटेदार भर रहे अपना पेट, किराना दुकान से राशन खरीदने के लिए मजबूर हितग्राही

छत्तीसगढ़ के गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाले राशन में कटौती का मामला सामने आया है। यहां हितग्राहियों को मिलने वाले राशन में दुकान संचालक द्वारा कटौती की जा रही है।

CG: ग्रामीणों के राशन में कटौती कर कोटेदार भर रहे अपना पेट, किराना दुकान से राशन खरीदने के लिए मजबूर हितग्राही

गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में शासन की महत्वाकांक्षी योजना पर कैसे पलीता लगाया जा रहा है, इसका नजारा देखने को मिला है। गरीबों को मुफ्त में मिलने वाले राशन पर डाका डाला जा रहा है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाला राशन ग्रामीणों को कम तो कईयों को महीनों से नहीं मिला है। अलाम यह है कि ग्रामीण करें तो करें क्या। वे बाजार से चावल खरीदकर खाने को मजबूर हैं। वहीं, प्रशासन मामले में जल्द कार्रवाई किये जाने की बात कह रहा है।

पेंड्रा विकास खंड अंतर्गत ग्राम पंचायत जाटादेवरी के आश्रित गांव हर्राडीह में रहने वाले ग्रामीणों को पिछले अप्रैल माह में शासन के द्वारा एक साथ 70 किलो चावल देना था, लेकिन गांव में राशन दुकान का संचालन करने वाली वैष्णवी महिला स्वं. सहायता समूह के द्वारा गरीब हितग्राहियों को 70 किलो चावल नहीं दिया गया। राशन लेने पहुंचे ग्रामीणों को सेल्समेन के द्वारा सिर्फ 50 किलो चावल देते हुए कहा दिया गया कि उनके नाम से उनके पास सिर्फ 50 किलो चावल अभी आया है। जबकि 20 किलो बचा चावल उन्हें बाद में मिलेगा।

हितग्राहियों के द्वारा बचा हुआ 20 किलोग्राम चावल के लिए कई बार राशन दुकान जाने के बाद भी उन्हें उनका बचा हुआ चावल नहीं दिया गया। बस आज मिलेगा कल मिल जाएगा कहकर टाल दिया जाता। यही नहीं कुछ हितग्राहियों का कहना है कि उन्हें राशन दुकान संचालक के द्वारा पिछले 3 से 4 माह का न चावल न ही शक्कर न ही चना मिला है। बार-बार दुकान जाने के बाद भी उन्हें राशन नहीं मिला, जबकि राशन दुकान संचालक के द्वारा बड़े ही चालाकी से गरीब हितग्राहियों के राशन कार्ड में राशन दिया जाना बतालाकर माह का राशन चढ़ा दिया जाता रहा।

कुछ ग्रामीणों की मानें तो उन्हें तो 4-4 माह होने के बाद भी शक्कर और चना दुकानदार के द्वारा नहीं दिया गया। ग्रामीणों को राशन नहीं मिलने के चलते काफी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। स्थिति यह है कि उन्हें अपना और अपने परिवार के लोगों का पेट भरने के लिए गांव के किराना दुकानों से चावल खरीदना पड़ रहा है। वहीं,  ग्रामीणों और ग्रामीण जनप्रतिनिधियों की मानें तो मामले की शिकायत उनके द्वारा उच्चाधिकारियों को भी की गई, लेकिन वहां से भी कोई समाधान नही हुआ।