कच्चे तेल की कीमत में ऐतिहासिक गिरावट, जल्द सस्ती हो सकती है पेट्रोल-डीजल
भारत में कच्चे तेल के आयात पर आने वाला खर्च हाल के वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। पिछले पांच वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है जब भारत को कच्चा तेल औसतन 70 डॉलर प्रति बैरल

भारत में कच्चे तेल के आयात पर आने वाला खर्च हाल के वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। पिछले पांच वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है जब भारत को कच्चा तेल औसतन 70 डॉलर प्रति बैरल से भी कम कीमत पर मिल रहा है। इस गिरावट के चलते आम जनता को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में जल्द राहत मिल सकती है।
सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेंट क्रूड की कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल से नीचे चली गई। हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को भारत ने कच्चे तेल का आयात औसतन 69.39 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से किया, जो कि पिछले वर्ष अप्रैल की तुलना में करीब 22 प्रतिशत कम है। उस समय प्रति बैरल कीमत 89.44 डॉलर थी। हालांकि सोमवार को अंबेडकर जयंती के चलते सरकारी आंकड़ों को अभी अपडेट नहीं किया गया है।
एचटी ने अपने सूत्रों के हवाले से बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक गतिविधियों की सुस्ती और व्यापारिक तनावों की वजह से आने वाले समय में कच्चे तेल की मांग और भी घट सकती है, जिससे इसकी कीमतों में और गिरावट आ सकती है। तेल कंपनियों के अधिकारियों और ऊर्जा विशेषज्ञों ने भी इस संभावना की पुष्टि की है।
भारत दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातकों में शामिल है और अपनी जरूरत का लगभग 87 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से मंगाता है। रिफाइनिंग इंडस्ट्री में कच्चा तेल मुख्य कच्चा माल होता है, जो कुल लागत का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा होता है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत में गिरावट सीधे तौर पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों को प्रभावित करती है।
रायटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गोल्डमैन सैक्स ने अनुमान लगाया है कि साल 2025 में कच्चे तेल की औसत कीमत 63 डॉलर प्रति बैरल रह सकती है। इसी रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक ने वैश्विक मांग में गिरावट को ध्यान में रखते हुए आने वाले दो वर्षों—2025 और 2026—के लिए मांग वृद्धि के अनुमान को घटा दिया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, ओपेक ने अपने पूर्वानुमान में रोजाना करीब 1.3 मिलियन बैरल की मांग में गिरावट की बात कही है, जो वैश्विक मांग का लगभग 1 प्रतिशत है।
इसी बीच केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 7 अप्रैल को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि तेल कंपनियों ने 45 दिनों के लिए स्टॉक जमा कर रखा है, जिस पर उन्हें औसतन 75 डॉलर प्रति बैरल की लागत आई है। उन्होंने यह भी कहा कि जब अंतरराष्ट्रीय कीमतें 60 से 65 डॉलर प्रति बैरल तक गिरेंगी, तो तेल कंपनियों के पास पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटाने का विकल्प उपलब्ध होगा।
अब जब कच्चे तेल की वैश्विक कीमतें तेजी से नीचे जा रही हैं, तो देशवासियों को जल्द ही ईंधन की कीमतों में राहत मिलने की उम्मीद है।