गैस त्रासदी पीड़ितों की रिपोर्ट डिजिटलीकरण पर सरकार का बयान: 550 दिनों में होगा कार्य पूर्ण
भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की मेडिकल रिपोर्ट को डिजिटलीकरण (ऑनलाइन) करने के संदर्भ में मध्य प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा पेश किया।

8 जनवरी 2025। भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की मेडिकल रिपोर्ट को डिजिटलीकरण (ऑनलाइन) करने के संदर्भ में मध्य प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा पेश किया। सरकार ने बताया कि 2014 से पहले के मेडिकल रिकॉर्ड काफी पुराने हैं और इनकी स्थिति को देखते हुए रोजाना केवल 3000 पृष्ठों को ही स्कैन किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को पूरा करने में करीब 550 दिनों का समय लगने का अनुमान है। हालांकि, सरकार ने यह भी कहा कि कार्य शुरू होने के बाद ही अंतिम समय सीमा तय की जा सकेगी।
हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विशाल जैन की पीठ ने सरकार के स्वास्थ्य सचिव और बीएमएचआरसी के निदेशक को निर्देश दिया कि वे संयुक्त बैठक कर मेडिकल रिपोर्ट्स के डिजिटलीकरण के लिए अंतिम कार्ययोजना तैयार करें। कोर्ट ने कहा कि सरकारी अधिकारियों को इस कार्य को गंभीरता से लेना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कार्य में कोई देरी न हो। कोर्ट ने यह भी माना कि अभी तक इस कार्य में ढिलाई बरती गई है। इस मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी।
सुनवाई के दौरान सरकार ने यह भी जानकारी दी कि एनआईसी ने ई-हॉस्पिटल परियोजना के तहत क्लाउड सर्वर की स्थापना के लिए एक प्रस्ताव भेजा है, जो फिलहाल वित्त विभाग के पास वित्तीय अनुमोदन के लिए लंबित है। इसे 2025-26 के वित्तीय वर्ष में बजट आवंटन के बाद लागू किया जाएगा। स्कैन किए गए दस्तावेज़ों को इस क्लाउड सर्वर में संग्रहीत किया जाएगा। एनआईसी के प्रस्ताव के अनुसार, यह पूरी प्रक्रिया एक साल में पूरी हो सकती है।
गौरतलब है कि यह याचिका 2012 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन और अन्य संगठनों द्वारा दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 20 महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए थे, जिनके पालन की निगरानी के लिए एक मॉनिटरिंग कमेटी बनाई गई थी। यह कमेटी हर तीन महीने में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करती है, जिसके आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं।