भूकंप से बाढ़ तक, अब नज़र रखेगा 'निसार'

इसरो और नासा का संयुक्त उपग्रह मिशन 'निसार' 30 जुलाई को लॉन्च होगा, जो पृथ्वी की सतह की हर 12 दिन में उच्च-रिजॉल्यूशन स्कैनिंग करेगा और आपदाओं की रियल-टाइम निगरानी में मदद करेगा।

भूकंप से बाढ़ तक, अब नज़र रखेगा 'निसार'

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा का बहुप्रतीक्षित संयुक्त मिशन ‘निसार’ अब 30 जुलाई 2025 को शाम 5:40 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च होने जा रहा है। यह 1.5 बिलियन डॉलर की लागत वाला उपग्रह मिशन दुनिया में अपनी तरह का पहला होगा, जो हर 12 दिन में पृथ्वी की संपूर्ण भूमि और बर्फीली सतहों को स्कैन करेगा।

इसरो ने सोमवार को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी दी कि निसार (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) उपग्रह लॉन्च के लिए तैयार है। यह मिशन नासा और इसरो के बीच एक दशक से भी अधिक समय के तकनीकी सहयोग का परिणाम है।

निसार उपग्रह हर मौसम में, दिन-रात, उच्च-रिजॉल्यूशन में पृथ्वी की सतह की तस्वीरें और आंकड़े भेजेगा। यह सतह पर होने वाले छोटे-से-छोटे बदलावों को भी सेंटीमीटर स्तर तक पकड़ सकेगा। चाहे वो जमीन का विरूपण हो, बर्फ की चादर में परिवर्तन या वनस्पति की हरकत—निसार हर गतिविधि पर नजर रखेगा।

इस उपग्रह में दो प्रकार के रडार सिस्टम लगाए गए हैं—नासा द्वारा विकसित एल-बैंड रडार और इसरो द्वारा बनाया गया एस-बैंड रडार। ये दोनों दुनिया की सबसे उन्नत रडार तकनीकों में गिने जाते हैं।

निसार से मिलने वाला डेटा कृषि, जलवायु परिवर्तन, सतही जल, मिट्टी की नमी, समुद्री बर्फ, जहाजों की गतिविधि, तूफानों की निगरानी और आपदा प्रतिक्रिया जैसे कई अहम क्षेत्रों में उपयोगी होगा। यह भारत जैसे आपदा-प्रवण देश के लिए विशेष रूप से अहम साबित होगा।

इस तकनीक के जरिए वैज्ञानिक भूकंप, भूस्खलन, सुनामी और ज्वालामुखी विस्फोट जैसी घटनाओं की रियल-टाइम निगरानी कर सकेंगे। इससे आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली और राहत कार्यों में भी काफी सुधार होगा।

निसार मिशन न केवल वैज्ञानिक शोध के क्षेत्र में एक नया आयाम खोलेगा, बल्कि पृथ्वी की सतत निगरानी के ज़रिए जलवायु से जुड़ी नीतियों के निर्माण में भी अहम भूमिका निभाएगा।