गंगा में घट रहा ऑक्सीजन का स्तर: जलप्रवाह न बढ़ा तो मर सकते हैं जलीय जीव- जंतु, BHU के अध्ययन में मिला प्रमाण

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में काशी से लेकर कानपुर और कन्नौज तक गंगा में ऑक्सीजन का स्तर मानक से इतना कम मिला है कि जलीय जीव-जंतुओं का जीवन बेहद कठिन हो जाए।

गंगा में घट रहा ऑक्सीजन का स्तर: जलप्रवाह न बढ़ा तो मर सकते हैं जलीय जीव- जंतु, BHU के अध्ययन में मिला प्रमाण

जेठ की तपिश में मोक्षदायिनी गंगा के जलीय जीव-जंतुओं की शामत आ गई है। पानी में ऑक्सीजन का स्तर कम होने से नदी की तलहटी में रहने वाले जलचरों की जान खतरे में है। तेजी से नीचे खिसकते जलस्तर के बीच सीवेज और ड्रेनेज के जरिये गंगा में दिन-रात घुल रहा कार्बन प्रदूषण नदी के ऑक्सीजन को चट कर रहा है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में काशी से लेकर कानपुर और कन्नौज तक गंगा में ऑक्सीजन का स्तर मानक से इतना कम मिला है कि जलीय जीव-जंतुओं का जीवन बेहद कठिन हो जाए। जानकारों का मानना है कि गंगा का जलप्रवाह न बढ़ा तो जलचरों को बच पाना मुश्किल हो जाएगा।

बीएचयू के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र पांडेय और उनकी टीम ने गर्मी के पीक सीजन में गंगा में ऑक्सीजन की स्थिति पर तीन साल तक अध्ययन किया। रिसर्च के दौरान मई-जून की तीखी गर्मी में वाराणसी के अस्सी घाट, कानपुर के वाजिदपुर ड्रेन और कन्नौज में रामगंगा के मिलने के स्थान से सैंपल उठाए गए। वाराणसी में अस्सी के सामने सतह से 300 मीटर नीचे गंगा की तलहटी में ऑक्सीजन का स्तर 3 मिग्रा./लीटर से कम पाया गया। यही हालात कानपुर और कन्नौज में 600 मीटर नीचे के जल में रहे।

प्रो. पांडेय के मुताबिक सामान्य स्थिति में नदी के जल में ऑक्सीजन का स्तर 5 से 6 मिग्रा./लीटर होना चाहिए। ऑक्सीजन का स्तर 3 या 3 से कम होने पर मछलियों और जीव-जंतुओं की जान सांसत में पड़ जाती है। ऑक्सीजन का स्तर 2 मिग्रा. प्रति लीटर तक आते-आते जीव-जंतु मरने लगते हैं। माना जा रहा है कि जिस हिसाब से तापमान में वृद्धि और गंगा में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, उससे यह स्थिति आने में ज्यादा देर नहीं लगेगी।

प्रो. पांडेय कहते हैं कि गर्मी में तापमान बढ़ने के साथ पानी की ऑक्सीजन को धारण करने की क्षमता कम हो जाती है। पानी का तापमान एक डिग्री सेल्सियस भी बढ़ जाए तो इसका असर ऑक्सीजन के स्तर पर पड़ जाता है। दूसरी ओर पानी कम होने से नदी में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। जलीय जीव-जंतु सतह पर आते हैं तो गर्मी से परेशानी होती है और नीचे तलहटी में जाते हैं तो वहां ऑक्सीजन का स्तर कम होने से उन्हें कठिनाई होने लगती है।
रिवर फैक्ट्स...
  • नदी की तलहटी में 3 मिग्रा प्रति लीटर से कम ऑक्सीजन हुआ तो जलीय जंतु नहीं रह पाते।
  • ऑक्सीजन स्तर 2 से नीचे जाना हाइपोक्सिया की स्थिति कहलाती है। इसमें नदी खुद से अपनी सेहत बिगाड़ने लगती है।
  • गर्मी के दिनों में सीवेज के बैक्टीरिया की गतिविधि बढ़ जाती है।
  • विषाक्तता ज्यादा होने के कारण औद्योगिक कचरा नदी के लिए ज्यादा नुकसानदेय है।