Ram mandir: सुबह हो या शाम इनके रग-रग में समाए हैं राम-राम; अपने शरीर को मंदिर मानते हैं छत्तीसगढ़ के रामनामी

सुबह हो या शाम इनके रग-रग में समाए हैं राम-राम...राम-राम... जी हां भगवान राम की भक्ति में दिन-रात लीन रहने वाले छत्तीसगढ़ के रामनामी अपने शरीर को ही मंदिर मानते हैं।

Ram mandir: सुबह हो या शाम इनके रग-रग में समाए हैं राम-राम; अपने शरीर को मंदिर मानते हैं छत्तीसगढ़ के रामनामी

सुबह हो या शाम इनके रग-रग में समाए हैं राम-राम...राम-राम... जी हां भगवान राम की भक्ति में दिन-रात लीन रहने वाले छत्तीसगढ़ के रामनामी अपने शरीर को ही मंदिर मानते हैं।

Ram temple, Chhattisgarh Ramnami: सुबह हो या शाम, इनके रग-रग में समाए हैं राम-राम...राम-राम... जी हां भगवान राम की भक्ति में दिन-रात लीन रहने वाले छत्तीसगढ़ के रामनामी अपने शरीर को ही मंदिर मानते हैं। वो अपने शरीर पर गोदना से राम-राम नाम गोदवाए सबको राम राज का संदेश देते हैं। समरसता का संदेश देते हैं। ये रामनामी हैं और न सिर्फ इनका चोला... शरीर का हर हिस्सा राम...राम...राम...के अक्षरों से नस-नस में विद्यमान है। 

शरीर पर श्वेत परिधानों के साथ मोह, माया, लोभ, काम, क्रोध और व्यसनों को त्याग कर सबको भाई-चारे के साथ बिना किसी भेदभाव के शांतिपूर्ण तरीके से जीवनयापन का संदेश भी देते हैं। छत्तीसगढ़ के नवगठित जिले सक्ती के जैजैपुर विकासखंड में रामनामी समुदाय का तीन दिवसीय बड़े भजन का मेला नई पीढ़ी और पहली बार देखने वालों के लिए जहां कौतूहल का केंद्र बना है। वहीं इसके विषय में पहले से जानने और समझने वालों के लिए यह सम्मान और गौरव से कम नहीं...। अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा से राममय हुए माहौल के बीच रामनामी समुदाय का बड़े भजन का यह मेला भी सद्भावना और मानवता का संदेश दे रहा है।