पाकिस्तान से केवल जम्मू-कश्मीर में अवैध कब्जे और आतंकवाद के मुद्दे पर ही होगी बातचीत: विदेश मंत्री

डॉक्टर जयशंकर ने कहा कि भारत ने कहा कि पाकिस्तान के साथ बकाया मुद्दों में केवल उसके कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र, कश्मीर को मुक्त कराना है। विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत केवल आतंक के मुद्दे पर होगी।

पाकिस्तान से केवल जम्मू-कश्मीर में अवैध कब्जे और आतंकवाद के मुद्दे पर ही होगी बातचीत: विदेश मंत्री

विदेश मंत्री डॉक्‍टर एस जयशंकर ने भारत और पाकिस्‍तान के बीच तीसरे पक्ष की मध्‍यस्‍थता से इंकार किया है। उन्‍होंने यह बात दोहराई कि पाकिस्‍तान के साथ कोई भी बातचीत केवल द्विपक्षीय आधार पर ही होगी। नई दिल्‍ली में एक कार्यक्रम के अवसर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए डॉक्‍टर जयशंकर ने कहा कि भारत ने यह स्‍पष्‍ट कर दिया है कि पाकिस्‍तान के साथ बकाया मुद्दों में केवल उसके कब्‍जे वाले भारतीय क्षेत्र, कश्‍मीर को मुक्‍त कराना है। 

विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि वर्षों से यह राष्‍ट्रीय आम सहमति का विषय है और भारत के दृष्टिकोण में कोई बदलाव नहीं आया है। उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने स्‍पष्‍ट कर दिया है कि पाकिस्‍तान के साथ बातचीत केवल आतंक के मुद्दे पर होगी। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान को उन आतंकियों की सूची दी गई है जो उसे भारत को सौंपने हैं। साथ ही उसे आतंकी ढ़ाचे को भी नष्‍ट करना होगा।

भारत और पाकिस्तान के बीच गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद करने के बारे में डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान को संदेश दिया था कि केवल आतंकी ढांचे को निशाना बनाया जा रहा है और पाक सेना से हस्तक्षेप न करने को कहा गया था। लेकिन पाकिस्तान ने सलाह को नजरअंदाज किया। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि 10 मई की सुबह पाकिस्तान को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाने के बाद गोलीबारी बंद करने की मांग कौन कर रहा था। विदेश मंत्री ने बताया कि सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि भारत ने पाकिस्तान को अधिक क्षति पहुंचायी जबकि वह वह भारत को बहुत कम नुकसान पहुंचा सका।

विदेश मंत्री ने कहा कि सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान, सीमा पार आतंकवाद पर विश्वसनीय रोक नहीं लगाता। 

 डॉ. जयशंकर ने भारत-अमरीका व्यापार के बारे में कहा कि बातचीत जारी है और कोई भी व्यापार समझौता आपसी लाभकारी और दोनों देशों के लिए कारगर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यापार सौदे से भारत की यही अपेक्षा है और जब तक यह नहीं हो जाता, इस पर कोई भी निर्णय लेना जल्दबाजी होगी।