इंदौर की पलक शर्मा विश्व एक्वाटिक्स चैंपियनशिप 2025 में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी
इंदौर की युवा गोताखोर पलक शर्मा सिंगापुर में आयोजित विश्व एक्वाटिक्स चैंपियनशिप 2025 में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। वह तीन इवेंट्स में भाग लेंगी।

इंदौर: मध्यप्रदेश की उभरती हुई युवा गोताखोर प्रतिभा, पलक शर्मा, इस समय सिंगापुर में चल रही विश्व एक्वाटिक्स चैंपियनशिप 2025 में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। यह प्रतिष्ठित प्रतियोगिता 11 जुलाई से शुरू हुई है और 3 अगस्त तक चलेगी। पलक तीन स्पर्धाओं में हिस्सा लेंगी, जो 28 जुलाई, 30 जुलाई और 3 अगस्त को निर्धारित हैं।
इस टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए पलक बुधवार को सिंगापुर रवाना हुईं। उनका पिछला प्रदर्शन और अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने का अनुभव उन्हें भारत की सबसे भरोसेमंद युवा डाइविंग स्टार बनाता है। यह पलक का लगातार दूसरा वर्ल्ड चैंपियनशिप में शामिल होना है, जो किसी भी भारतीय महिला गोताखोर के लिए एक दुर्लभ उपलब्धि है।
विश्व एक्वाटिक्स चैंपियनशिप जल क्रीड़ा की सबसे बड़ी प्रतियोगिताओं में से एक है, जिसमें डाइविंग, स्वीमिंग, ओपन वॉटर स्वीमिंग, आर्टिस्टिक स्वीमिंग, वॉटर पोलो और हाई डाइविंग जैसे छह खेल शामिल हैं। इस बार इसमें 200 से अधिक देशों के 2000 से ज्यादा खिलाड़ी भाग ले रहे हैं।
पलक शर्मा एक साधारण परिवार से आती हैं। उनके पिता पंकज शर्मा मिठाई की दुकान चलाते हैं और मां भाग्यश्री शर्मा गृहिणी हैं। पलक ने आठ साल की उम्र से गोताखोरी शुरू की थी और तब से उन्होंने अपने समर्पण, प्रतिभा और अनुशासन से खुद को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर साबित किया है। उनके कोच रमेश व्यास (विश्वामित्र पुरस्कार विजेता) ने उन्हें तकनीकी और मानसिक रूप से तैयार किया।
पलक प्रतिदिन लगभग आठ घंटे अभ्यास करती हैं। उनके परिवार ने उनके प्रशिक्षण के लिए अब तक चार बार स्कूल बदला है। कोविड लॉकडाउन के दौरान भी पलक ने अपनी छत पर गद्दों पर अभ्यास करके और नियमित वर्कआउट कर अपनी तैयारी जारी रखी।
उनकी उपलब्धियों में शामिल हैं: 38वें नेशनल गेम्स में अंडर-19 श्रेणी में तीन स्वर्ण पदक, सिंगापुर इंटरनेशनल एक्वाटिक चैंपियनशिप 2024 में सीनियर कैटेगरी में एक रजत और एक कांस्य पदक, साथ ही प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार और मध्यप्रदेश का एकलव्य पुरस्कार जैसी सम्मानजनक उपाधियाँ।
पलक शर्मा की यह यात्रा देशभर की बेटियों के लिए प्रेरणा है और भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर गौरवान्वित करने का प्रतीक भी।