आपबीती: बांग्लादेश हिंसा के बीच फंस गई थी यूपी की छात्राएं, कहा- परिजनों से नहीं हुई बात.. हर वक्त लगता था डर

बांग्लादेश में चल रहे हिंसक प्रदर्शन के बीच वहां पढ़ाई कर रहीं हरथला कॉलोनी निवासी तीन सगी बहनें सुरक्षित घर लौट आई हैं। एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही छात्राओं ने बताया कि वहां के हालात को याद कर अब भी डर लगता है।

आपबीती: बांग्लादेश हिंसा के बीच फंस गई थी यूपी की छात्राएं, कहा- परिजनों से नहीं हुई बात.. हर वक्त लगता था डर

बांग्लादेश में चल रहे हिंसक प्रदर्शन के बीच वहां पढ़ाई कर रहीं हरथला कॉलोनी निवासी तीन सगी बहनें सुरक्षित घर लौट आई हैं। एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही छात्राओं ने बताया कि वहां के हालात को याद कर अब भी डर लगता है। सबसे ज्यादा चिंता यह थी कि इंटरनेट बंद होने की वजह से परिजनों से बात नहीं हो पा रही थी।

जैसे-तैसे एक कॉल हो सकी तो उन्होंने परिजनों को अपने सुरक्षित होने की जानकारी दी। दि बार एसोसिएशन एंड लाइब्रेरी के वरिष्ठ सदस्य सलीम अहमद एडवोकेट की तीन बेटियां उमम, जोया अहमद, कशिश अहमद गाजी बांग्लादेश के मेडिकल कॉलेज खुरना में एमबीबीएस के दूसरे वर्ष की छात्राएं हैं।

उमम ने बताया कि बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इसकी शुरुआत राजधानी ढाका से हुई थी, लेकिन हिंसक प्रदर्शन देशभर में होने लगे। छात्राओं ने बताया कि खुरना में भी इसका असर हुआ।

20 जुलाई से हमारी परीक्षाएं थीं और 19 जुलाई को कक्षा में थे। इसी दौरान खबर आई कि प्रदर्शन शुरू हो गया है। तभी कॉलेज बंद होने का मैसेज आ गया। इसकी वजह से हमारी परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गईं। कॉलेज से हम अपने हॉस्टल पहुंचे।

फिर पांच दिन तक हम हॉस्टल में ही रहे। वहां पर खाने-पीने की कोई दिक्कत नहीं थी। हॉस्टल सुरक्षित था, लेकिन हम बाहर नहीं जा सकते थे। इंटरनेट बंद होने की वजह से हम अपने घर संपर्क नहीं कर पा रहे थे।

सीनियर विद्यार्थियों ने किया दूतावास में संपर्क

उमम ने बताया कि हमारे सीनियर विद्यार्थियों ने भारतीय दूतावास में संपर्क किया। दूतावास के अधिकारियों ने विश्वविद्यालय में संपर्क कर हमारी सुरक्षा के निर्देश दिए और कहा कि हमारे अभिभावकों से संपर्क कर देश लौटने में सहयोग करें। इसके बाद 24 जुलाई को हमें बस उपलब्ध करवाई।

इसमें पुलिस सुरक्षा भी थी। बस से हम कोलकाता बॉर्डर पर पहुंचे। यहां से दूतावास ने घर तक पहुंचाने के लिए भी कहा था, लेकिन हमने अपने स्तर से टिकट की व्यवस्था की और घर आ गया। उमम ने बताया कि हमारे साथ मुरादाबाद के दस अन्य विद्यार्थी भी लौट आए।

ईद के बाद गई थीं बांग्लादेश

सलीम अहमद ने बताया कि तीनों बेटियां ईद पर घर आई थीं। यहां से जून की शुरुआत में बांग्लादेश लौटी थीं। जब प्रदर्शन की खबर सुनी तो पूरा परिवार परेशान हो गया। सुरक्षित बेटियों के घर लौटने के बाद राहत की सांस ली है।

उमम ने बताया कि अभी हालात में कुछ सुधार है, लेकिन कॉलेज कब खुलेगा, इसके बारे में नहीं पता है। परीक्षा की भी डेट सुनिश्चित नहीं हुई है। जैसे विश्वविद्यालय से सूचना आएगी, उसके बाद आगे की योजना बनाएंगे।