सॉल्क संस्थान के शोधकर्ताओं ने खोजा दर्द का नया मस्तिष्क मार्ग, क्रॉनिक पेन के उपचार में मिल सकती है नई उम्मीद
सॉल्क संस्थान के वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क में दर्द के भावनात्मक पहलू को नियंत्रित करने वाला नया मार्ग खोजा। यह खोज फाइब्रोमायल्जिया, माइग्रेन और PTSD जैसे क्रॉनिक पेन विकारों के इलाज के लिए नई उम्मीद जगाती है।

दर्द केवल एक शारीरिक अनुभूति नहीं है, बल्कि यह भावनात्मक बोझ भी लेकर आता है। यही पीड़ा और मानसिक कष्ट एक साधारण चोट को लंबे समय तक झेलने वाले दर्द में बदल सकते हैं। अमेरिकी शोध संस्थान सॉल्क इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐसा मस्तिष्कीय मार्ग पहचाना है जो शारीरिक दर्द को उसकी भावनात्मक गहराई प्रदान करता है। यह खोज क्रॉनिक पेन, माइग्रेन और पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) जैसी स्थितियों के उपचार के लिए नई दिशा दिखा सकती है। यह अध्ययन प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में 9 जुलाई 2025 को प्रकाशित हुआ।
शोधकर्ताओं ने पाया कि थैलेमस नामक मस्तिष्क क्षेत्र में मौजूद कुछ विशेष न्यूरॉन्स दर्द के भावनात्मक पहलू को नियंत्रित करते हैं। इन न्यूरॉन्स को CGRP (कैल्सिटोनिन जीन-रिलेटेड पेप्टाइड) कहा जाता है। जब इन्हें निष्क्रिय किया गया तो चूहे सामान्य दर्द का अनुभव तो करते रहे, लेकिन उन्होंने उससे जुड़ा मानसिक कष्ट महसूस नहीं किया और न ही भविष्य में उससे बचने का व्यवहार दिखाया। वहीं जब इन्हें सक्रिय किया गया तो बिना किसी वास्तविक दर्द उत्तेजना के ही उन्होंने भय और पीड़ा जैसी प्रतिक्रिया दिखाई। इससे यह स्पष्ट हुआ कि शारीरिक दर्द और उसके भावनात्मक असर को नियंत्रित करने वाले रास्ते अलग-अलग हैं।
पारंपरिक मान्यता के अनुसार, दर्द का संवेदी पहलू स्पाइनोथैलेमिक ट्रैक्ट द्वारा नियंत्रित माना जाता था और उसका भावनात्मक पहलू स्पाइनोपैराब्रैकियल ट्रैक्ट से जुड़ा माना जाता था। लेकिन सॉल्क के इस अध्ययन ने यह समझ बदल दी है और एक नए स्पाइनोथैलेमिक मार्ग की पहचान की है जो सीधे थैलेमस से एमिग्डाला—मस्तिष्क का भावनात्मक केंद्र—तक जुड़ता है।
इस खोज का महत्व इसलिए भी है क्योंकि क्रॉनिक पेन से पीड़ित रोगियों में अक्सर दर्द का कोई स्पष्ट शारीरिक कारण नहीं होता। फाइब्रोमायल्जिया और माइग्रेन जैसे विकारों में साधारण उत्तेजनाएँ भी असहनीय पीड़ा का कारण बन जाती हैं। शोध से संकेत मिलता है कि CGRP न्यूरॉन्स की अधिक सक्रियता इन स्थितियों के पीछे एक अहम कारण हो सकती है। यही नहीं, माइग्रेन के उपचार में पहले से उपयोग हो रही CGRP ब्लॉकर दवाएँ इस नई समझ को और मजबूत बनाती हैं।
शोधकर्ताओं का मानना है कि यह मार्ग न केवल शारीरिक दर्द बल्कि भय, तनाव और आघात से जुड़ी संवेदनाओं को भी प्रभावित कर सकता है। इसका संबंध PTSD जैसे विकारों से भी हो सकता है, जहाँ मरीज सामान्य परिस्थितियों में भी खतरे की तीव्र अनुभूति करते हैं। हालांकि सामाजिक अनुभवों जैसे अकेलापन, शोक और टूटे रिश्तों से जुड़ी मानसिक पीड़ा पर इसका क्या असर होता है, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर सुंग हान का कहना है कि यह खोज हमें पहली बार आणविक और परिपथ स्तर पर यह समझ देती है कि शारीरिक दर्द का अनुभव और उससे जुड़ी पीड़ा में अंतर क्यों होता है। यह भविष्य में ऐसी दवाओं और उपचार पद्धतियों का रास्ता खोल सकती है जो दर्द को केवल दबाएँ नहीं बल्कि उसके भावनात्मक बोझ को भी कम कर सकें।