खो-खो को मिली बड़ी मान्यता: अब मिलेगा सरकारी रोजगार और राष्ट्रीय पहचान
AIESCB ने खो-खो को अपने खेल कैलेंडर में शामिल कर उसे 16 प्रमुख खेलों के समकक्ष दर्जा दिया है। इससे खिलाड़ियों को रोजगार के अवसर और राष्ट्रीय पहचान मिलेगी।

भारतीय पारंपरिक खेल खो-खो ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। अखिल भारतीय विद्युत क्रीड़ा नियंत्रण बोर्ड (AIESCB) ने खो-खो को अपने आधिकारिक खेल कैलेंडर में शामिल करने का निर्णय लिया है। अब यह खेल क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल, बैडमिंटन और कबड्डी जैसे 16 प्रमुख खेलों के समकक्ष माना जाएगा। इससे खिलाड़ियों को न सिर्फ सम्मान मिलेगा, बल्कि सरकारी विभागों में रोजगार के अवसर भी खुलेंगे।
खो-खो को मिली AIESCB की मान्यता
AIESCB भारत के ऊर्जा और विद्युत क्षेत्र से जुड़े सरकारी विभागों की प्रमुख खेल संस्था है। यह संस्था वर्षों से देश में खेलों को बढ़ावा देती आ रही है। अब खो-खो को अपने खेल कार्यक्रमों में शामिल कर, AIESCB ने इस पारंपरिक खेल की स्थिति को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत कर दिया है। इससे पहले भारतीय सेना और रेलवे जैसे संस्थानों ने भी खो-खो को मान्यता दी थी, और अब AIESCB की पहल ने इसकी अहमियत और बढ़ा दी है।
खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया ने जताई खुशी
खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने AIESCB के इस निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “यह केवल प्रतीकात्मक निर्णय नहीं है, बल्कि इससे ग्रामीण और कस्बाई भारत के युवाओं को खो-खो को एक प्रोफेशनल करियर के रूप में अपनाने की प्रेरणा मिलेगी।” उन्होंने यह भी बताया कि अब सरकारी विभागों में खो-खो टीमों का गठन और खिलाड़ियों की नियुक्ति में प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे खेल को और मजबूती मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट खेल महोत्सव में खो-खो की पहली मौजूदगी
इस महीने की शुरुआत में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आयोजित वार्षिक खेल महोत्सव में पहली बार खो-खो को शामिल किया गया। यह कदम दर्शाता है कि अब यह खेल सिर्फ गांवों की सीमा तक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संस्थानों के मंचों तक अपनी पहुंच बना चुका है।
खो-खो के लिए उज्ज्वल भविष्य
विशेषज्ञों का मानना है कि खो-खो को मिली यह मान्यता न केवल युवाओं को आकर्षित करेगी, बल्कि इसे एशियाई खेलों जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं तक ले जाने में भी मदद करेगी। अब यह खेल केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि रोजगार और पहचान का माध्यम बनता जा रहा है।
AIESCB की यह पहल पारंपरिक भारतीय खेलों को नई पहचान और सम्मान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। खो-खो अब न सिर्फ खेल प्रेमियों के लिए, बल्कि नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए भी सुनहरा अवसर बन चुका है।