यमुना का संकट : जलस्तर बढ़ने से आधे शहर में गहरा जाता है पेयजल संकट

यमुना का संकट : जलस्तर बढ़ने से आधे शहर में गहरा जाता है पेयजल संकट

यमुना का संकट : जलस्तर बढ़ने से आधे शहर में गहरा जाता है पेयजल संकट

सोनीपत। यमुना के उफान पर आने से किनारे पर बसे गांव ही प्रभावित नहीं होते बल्कि आधा शहर भी प्रभावित हो जाता है। गांव जाजल में यमुना किनारे लगे रेनीवेल से शहर के आधे हिस्से में पानी सप्लाई होती है। यमुना का जलस्तर बढ़ते ही उसके चारों ओर पानी भर जाता है। वहां जाने तक का रास्ता नहीं बचता, जिससे रेनीवेल से होने वाले पानी की सप्लाई ठप हो जाती है। ऐसे में लोगों के लिए पानी की किल्लत हो जाती है।

सोनीपत शहर से 24 किलोमीटर दूर लंबी पाइप लाइन बिछाकर 100 करोड़ रुपये की लागत से गांव जाजल में यमुना किनारे रेनीवेल स्थापित किया गया था। यहां से 14 लाख लीटर पानी की रोजाना आपूर्ति होती है। इससे शहर के एक लाख से अधिक लोगों को पेयजल उपलब्ध होता है। यमुना में हर साल हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़ा जाता है। पानी सोनीपत की सीमा में करीब 42 किलोमीटर से गुजरकर दिल्ली की सीमा में जाता है। ऐसे में यमुना में जलस्तर बढ़ते ही रेनीवेल बंद करना पड़ता है। जाजल में लगाए गए रेनीवाल के चारों ओर यमुना का पानी भर जाता है, जिससे शहर के कबीरपुर, मॉडल टाउन, सब्जी मंडी, धानक बस्ती, आदर्श नगर, ऋषिनगर, शिव कॉलोनी, तारा नगर, नरेंद्र नगर और सिक्का कॉलोनी समेत अन्य कई कॉलोनियों के लोगों को पानी की किल्लत झेलनी पड़ती है।

शहर के आधे हिस्से में जाजल स्थित रेनीवेल से पेयजल सप्लाई होती है। इसके लिए शहर में छह बूस्टिंग स्टेशन बने हुए हैं। जाजल से बूस्टिंग स्टेशनों में पानी आता है और उनसे शहर में पेयजल की सप्लाई की जाती है। यमुना में पानी छोड़ने के बाद रेनीवेल के डूबने पर वहां लगी बिजली की मोटर व मशीनें पानी में डूब जाती हैं जिसके चलते वहां बिजली आपूर्ति बंद करनी पड़ती है।